सिर्फ कागजों में ही संक्रामक बीमारियों से निपटने की तैयारी
जासं गाजीपुर गर्मी का मौसम शुरू होते ही संक्रामक बीमारियों ने अपना पांव पसारना शुरू कर दिया है वहीं इससे निपटने की स्वास्थ्य विभाग की तैयारी सिर्फ कागजी व जुबानी है। जमीनी हकीकत तो यह है कि सीएचसी व पीएचसी पर पहुंचने वाले मरीजों को दवा मिलना तो दूर चिकित्सकों द्वारा परामर्श भी नहीं मिल पा रहा है। ओपीडी की पर्ची लेकर घंटों इंतजार करने के बाद उन्हें बैरंग लौटना पड़ रहा है। डाक्टरों के नदारद रहने से मरीज आए दिन इस समस्या से जूझ रहे हैं।
ॉजासं, गाजीपुर : गर्मी का मौसम शुरू होते ही संक्रामक बीमारियों ने अपना पांव पसारना शुरू कर दिया है, वहीं इससे निपटने की स्वास्थ्य विभाग की तैयारी सिर्फ कागजी व जुबानी है। जमीनी हकीकत तो यह है कि सीएचसी व पीएचसी पर पहुंचने वाले मरीजों को दवा मिलना तो दूर चिकित्सकों द्वारा परामर्श भी नहीं मिल पा रहा है। ओपीडी की पर्ची लेकर घंटों इंतजार करने के बाद उन्हें बैरंग लौटना पड़ रहा है। डाक्टरों के नदारद रहने से मरीज आए दिन इस समस्या से जूझ रहे हैं।
जबकि विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा दावा किया जाता है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा पीएचसी व न्यू पीएचसी के चिकित्साधिकारियों को सख्त निर्देश दिया गया है कि हीट स्ट्रोक, डायरिया, पीलिया, टाइफाइड व तेज बुखार से पीड़ित मरीजों को भर्ती कर उपचार करने के लिए वार्ड में कूलर की व्यवस्था रखी जाए। इसके अलावा ग्लूकोज की बोतल के अलावा दवा व बेहतर चिकित्सकीय सुविधा प्रदान की जाए। स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा किए गए इन दावों की धज्जियां वहां तैनात चिकित्साधिकारी व स्वास्थ्य कर्मी खुद उड़ा रहे हैं। जिले में स्थापित 13 सीएचसी व पांच पीएचसी में अधिकांश का संचालन फार्मासिस्ट व स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा किया जाता है। यही नहीं जिला अस्पताल की स्थिति तो इससे भी खराब है। डायरिया से पीड़ित मरीजों के परिजनों ग्लूकोज की बोतल के अलावा दवा तक के लिए निजी मेडिकल पर जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में अधिकांश लोग सरकारी अस्पतालों में जाने के बजाए सीधे नीम-हकीम का सहारा लेते हैं, जिससे यह बीमारियां उनकी जान की आफत बन जाती हैं। इस संबंध में प्रभारी सीएमओ डा. आरके सिन्हा ने बताया कि सीएचसी-पीएचसी के चिकित्साधिकारियों को बेहतर चिकित्सकीय व्यवस्था के अलावा बेड भी सुरक्षित करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही नोडल अधिकारियों द्वारा सभी सीएचसी व पीएचसी का निरीक्षण कराने के साथ मिली रिपोर्ट पर लापरवाह स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।