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सरकार से स्टांप में छूट मिलते ही अपनों को जमीन दान देने वालों की भरमार

इस योजना में इससे करीब 20 लाख रुपये निबंधन शुल्क विभाग को प्राप्त होगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2022 04:00 AM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 04:00 AM (IST)
सरकार से स्टांप में छूट मिलते ही अपनों को जमीन दान देने वालों की भरमार
सरकार से स्टांप में छूट मिलते ही अपनों को जमीन दान देने वालों की भरमार

सरकार से स्टांप में छूट मिलते ही अपनों को जमीन दान देने वालों की भरमार

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जागरण संवाददाता, गाजीपुर : प्रदेश सरकार से स्टांप शुल्क में छूट मिलते ही अपनों को जमीन दान देने वालों की भरमार है। जिले में आज तक इतनी अधिक संख्या में कभी दानपत्र तैयार नहीं हुआ है। सिर्फ जुलाई में 388 ने दानपत्र के माध्यम से जमीन स्वजन को अंतरण कराया है, जिससे विभाग को 5.88 करोड़ के राजस्व का नुकसान होगा। वैसे इस योजना में इससे करीब 20 लाख रुपये निबंधन शुल्क विभाग को प्राप्त होगा।

उत्तर प्रदेश शासन के स्टांप व रजिस्ट्रेशन अनुभाग-2 की प्रमुख सचिव वीना कुमारी ने 18 जून को छह माह के लिए दानपत्र में स्टांप शुल्क की छूट की व्यवस्था लागू करने का आदेश जारी किया। इसके तहत ब्लड रिलेशन वाले व्यक्ति को जमीन दान करने पर पूरा स्टांप शुल्क नहीं देना होगा। अपने स्वजन को जमीन दान देने पर मात्र पांच हजार रुपये का स्टांप और जमीन की मालियत का एक प्रतिशत रजिस्ट्रेशन शुल्क का प्रविधान किया गया है। शासन से यह व्यवस्था लागू होते ही इसका लाभ लेते हुए लोग दानपत्र के माध्यम से बैनामा कराने में जुटे हैं। अकेले जुलाई में 388 लोगों ने दानपत्र के माध्यम से जमीन हस्तांतरण कराया है। इससे पहले अपनों के नाम केवल वसीयत होती थी, जिसमें अधिकतम एक हजार रुपये का राजस्व प्राप्त होता था।

इन्हें कर सकते दानपत्र से जमीन अंतरण

शासन की व्यवस्था के अनुसार दानदाता अचल संपत्ति का अंतरण पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, पुत्रवधू, दामाद, सगा भाई, सगी बहन, नाती, नतिनी के पक्ष में कर सकता है।

इससे कम होंगे जमीन संबंधी विवाद

इससे पहले लोग दानपत्र कम लिखवाते थे, क्योंकि बैनामे के बराबर स्टांप शुल्क देना पड़ता था। इससे बचने के लिए लोग वसीयत कराते थे, लेकिन वसीयत पर उत्तराधिकारी को लेकर चुनौती दी जाती थी। इससे काफी विवाद पैदा होते थे। कई बार वसीयत फर्जी भी कर दी जाती थी, जिसे कोर्ट में चुनौती दी जाती थी। दानपत्र तो रजिस्टर्ड ही होगा और इसमें फर्जीवाड़ा की कोई गुंजाइश नहीं है। दानपत्र को चुनौती नहीं दी जा सकती है। इससे जमीन संबंधित मुकदमे कम होने की संभावना है।

जिले की चार तहसीलें प्रभारी सब रजिस्ट्रार के सहारे

जिले की सात तहसीलों में से छह में रजिस्ट्री होती है, जबकि सेवराई में भी जल्द शुरू होने वाली है। अभी तक सदर, मुहम्मदाबाद व सैदपुर में सब रजिस्ट्रार की तैनाती है, जबकि बाकी तहसीलों में प्रभारी के भरोसे रजिस्ट्री का काम चल रहा है। इससे इन तहसीलों में बैनामों में खूब मनमानी चलती है।

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इस योजना में दानपत्र के माध्यम से जमीन अंतरण कराने वालों की संख्या बढ़ी है। बेशक, स्टांप शुल्क में छूट से राजस्व कम आ रहा है, लेकिन संख्या बढ़ने से विभाग को आमदनी भी है।

-प्रेम प्रकाश, सहायक महानिरीक्षक निबंधन।


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