गाजीपुर में भारी बरसात से तबाही की यह सबसे दुखद तस्वीर है, किसानों के सामने बड़ा संकट
गाजीपुर में मोंथा तूफान ने किसानों की हालत गंभीर कर दी है। कटी फसलों में अंकुरण शुरू हो गया है, जिससे बाजरा और धान की फसलें बर्बाद हो गई हैं। रबी की बोआई भी प्रभावित हुई है, खासकर मटर और प्याज के किसानों को भारी नुकसान हुआ है। किसान सरकार से बीमा राशि ईमानदारी से देने की मांग कर रहे हैं ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके।

खेत में फसल गिरी तो वहीं बीजों से नए अंकुर फूट पड़े।
जागरण संवाददाता करीमुद्दीनपुर (गाजीपुर)। मोंथा तूफान ने किसानों की स्थिति को अत्यंत गंभीर बना दिया है। अब हालात यह हैं कि कटी हुई फसल में अंकुरण शुरू हो गया है। अक्टूबर माह में हुई बारिश और उसके बाद मोंथा के प्रभाव से बाजरे और धान की बालियों में अंकुरण हो गया है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
इसके अतिरिक्त, धान के कटे खेतों में फसल की जड़ें भी हरी हो रही हैं। धान की फसल पूरी तरह गिर चुकी है और उसमें पानी भर गया है। ऐसे में जो धान परिपक्व हो गए थे, वे सड़ जाएंगे, जबकि फली ले रहे धान पूरी तरह नष्ट हो जाएंगे।
मोंथा तूफान ने रबी की बोआई को भी प्रभावित किया है। अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में रबी की बोआई शुरू हो जाती है। कुल 40 हजार हेक्टेयर रबी की बोआई में लगभग एक तिहाई खेतों में हरा मटर, मसूर, खेसारी आदि की बोआई हो चुकी थी, लेकिन अब इस बारिश के कारण सब समाप्त हो गया है।
किसानों को अब नए सिरे से रबी की बोआई करनी पड़ेगी, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि करइल इलाके में सबसे अधिक दलहनी फसलों की बोआई होती है और इन क्षेत्रों में खेत एक महीने से पहले नहीं सूख पाएंगे। ऐसे में रबी की खेती के लिए काफी मुश्किल हालात उत्पन्न हो गए हैं।
रबी की फसलों में सबसे अधिक नुकसान प्याज और मटर के किसानों को हुआ है। हरे मटर में प्रति बिघे आठ हजार रुपये और प्याज में प्रति बीघे सात हजार रुपये का केवल बीज लगता है। इसके अलावा, मिर्च के खेतों में भी पानी भर चुका है और हवा से उसके पौधे गिर गए हैं।
किसान आशुतोष राय, जितेंद्र राय, दीपक यादव और सुनील यादव ने सरकार से मांग की है कि उन्हें बीमा की राशि ईमानदारी से मिले, क्योंकि नुकसान 50 प्रतिशत से कम दिखाकर किसानों को बीमा से वंचित कर दिया जाता है।
किसानों की इस कठिनाई को देखते हुए, यह आवश्यक है कि सरकार उचित कदम उठाए और प्रभावित किसानों की सहायता करे। मोंथा तूफान ने न केवल फसलों को नुकसान पहुँचाया है, बल्कि किसानों की आजीविका पर भी गंभीर संकट उत्पन्न कर दिया है।

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