निगरानी समिति नहीं कर रही दायित्वों का निर्वहन
गाजीपुर जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या ताबड़तोड़ बढ़ती जा रही है और गैर राज्यों से आए प्रवासी मजदूर होम क्वारंटीन के बजाए खुलेआम गांवों में घूम रहे हैं। जिला प्रशासन भी इससे एकदम से अनजान बना हुआ है।
जासं, गाजीपुर : जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या ताबड़तोड़ बढ़ती जा रही है और गैर राज्यों से आए प्रवासी मजदूर होम क्वारंटाइन के बजाए खुलेआम गांवों में घूम रहे हैं। जिला प्रशासन भी इससे एकदम से अनजान बना हुआ है। यही कारण है कि इनके द्वारा बनाई निगरानी समिति पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। अगर जिला प्रशासन ने इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया तो स्थिति बेहद ही भयावह हो जाएगी और इसे कंट्रोल करना भी मुश्किल हो जाएगा।
जिले में शुक्रवार को ही 13 प्रवासी मजदूर पाजिटिव मिले तो जिला प्रशासन सहित जनपदवासियों में हड़कंप मच गया। सभी जनपदवासी पूरी तरह से सहम गए हैं। मुंबई और गुजरात से आए प्रवासी मजदूर खुलेआम गांवों में घूम रहे हैं। ग्रामीण जब इसका विरोध कर रहे हैं तो उल्टा उन्हीं को समझा रहे हैं कि मुझे कोरोना नहीं हुआ है। यह स्थिति किसी एक गांव की नहीं बल्कि कई गांवों की है। निगरानी समिति भी गंवई राजनीति के कारण उन्हें टोकना मुनासिब नहीं समझ रही है। ऐसे में जिला प्रशासन को स्वयं आगे आकर इस पर सख्ती दिखानी होगी।
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एक संक्रमित के संपर्क में आए 56 लोग
बीते पांच मई को मुंबई से लौटे प्रवासी मजदूर का स्वैब टेस्ट के लिए भेजा गया, इसके बाद उसे होम क्वारंटाइन के लिए भेज दिया गया। सख्त हिदायत दी गई कि होम क्वारंटाइन रहेंगे, बावजूद इसके वह दोस्तों से मिला और क्रिकेट भी खेला। सात मई को जब कोरोना संक्रमित मिला तो पूरे गांव में खलबली मच गई। प्रशासन ने उससे पूछताछ की तो पता चला कि कुल 56 लोगों के सीधे संपर्क में आया है। उन सभी क्वारंटाइन किया गया है। अब सवाल यह है कि इसमें अगर कोई पाजिटिव मिला तो क्या होगा। गांव-गांव बनाई गई निगरानी समिति सहित प्रवासी मजदूरों को भी सतर्क रहना होगा अन्यथा स्थिति भयावह हो जाएगी।
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बहरियाबाद कस्बे में चार दर्जन से अधिक लौटे हैं प्रवासी
बहरियाबाद : क्षेत्र में चार दर्जन से अधिक प्रवासी अपने घरों को आ चुके हैं। कुछ तो स्वास्थ्य परीक्षण उपरांत अपने घरों में या गांव के बाहर किसी खाली घरों में एकांतवास में रखे हैं लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो बगैर स्वास्थ्य परीक्षण कराए ही छिपे पड़े हैं या फिर स्वास्थ्य परीक्षण कराने के बाद गांवों में घूम रहे हैं। यही हाल क्षेत्र के भाला बुजुर्ग, नौरंगाबाद, कबीरपुर, रायपुर, इब्राहिमपुर, मलिकनगांव, मिर्जापुर आदि लगभग सभी गांवों का है। स्थानीय प्रधान नेसार अंसारी का कहना है कि ऐसा कोई आदेश प्राप्त नहीं है कि विद्यालय पर क्वारंटाइन में रहने वालों के लिए नाश्ता, खाना, ओढ़ना-बिछौना आदि की क्या और कैसे व्यवस्था करनी है। फिलहाल गांव लौटे प्रवासियों की सूची तैयार है। जो घरों में हैं उनकी निगरानी की जा रही है।
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प्रवासी कामगारों की जांच की व्यवस्था नहीं
बिरनो : गांव-गांव पहुंचे विभिन्न प्रांतों के प्रवासी कामगारों की जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। बोगना, रायपुर, बिरनो, बरही, बद्धोपुर, भड़सर, पांडेयपुर सहित दर्जनों गांवों में बंगाल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात से वाहन रिजर्व कर सैकड़ों की संख्या में प्रवासी कामगार अपने गांव पहुंच गए हैं। प्राथमिक विद्यालय में क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है लेकिन वहां ग्राम निगरानी समिति और पुलिस बल न होने के कारण प्रवासी कामगारों के घर के लोगों का आना जाना लगता रहता है। बाहर से आए कामगार प्रवासी केवल थर्मल जांच के बाद अपने घर चले जा रहे हैं। गांव में अन्य प्रांतों से अपने निजी साधन से आए प्रवासी पहले बिना जांच कराए ही अपने घर चले जा रहे हैं। इसके बाद थर्मल जांच के लिए स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जा रहे हैं।