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बाजार स्वागत को तैयार, दीया, सूप-दौरा सहित सजे सामान

हम्मदाबाद डाला छठ को लेकर बाजार में बड़े पैमाने पर फलों की दुकान सजी हुई हैं। हालांकि गुरुवार को फल खरीदने वालों की संख्या कम ही रही। बाजार में अभी सूप दौरा मिट्टी के बने दीया ढकनी व कोफलों से सजा रहा बाजार लेकिन नदारद थे खरीददार सिया आदि की खरीदारी ज्यादा हो रही है। फलों के नाम पर लोग अन्नास व नारियल को पहले से घर ले जाकर रख देना चाहते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 05:40 PM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 05:40 PM (IST)
बाजार स्वागत को तैयार, दीया, सूप-दौरा सहित सजे सामान
बाजार स्वागत को तैयार, दीया, सूप-दौरा सहित सजे सामान

मुहम्मदाबाद : डाला छठ पर बाजार स्वागत को तैयार है तो दीया, सूप-दौरा सहित सजे सामान के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है। हालांकि अभी फल खरीदने वालों की संख्या कम ही रही। बाजार में अभी सूप दौरा, मिट्टी के बने दीया, ढकनी व कोफलों से सजा रहा बाजार लेकिन नदारद थे खरीददार। दीया आदि की खरीदारी ज्यादा हो रही है। फलों के नाम पर लोग अन्नास व नारियल को पहले से घर ले जाकर रख देना चाहते हैं। इसको लेकर लोगों का कहना है कि और फल तो पूजन वाले दिन भी चला जाएगा, कभी- कभी आखिर में अन्नास व नारियल का अभाव हो जाता है।

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चट्टी चौराहे भी गुलजार

दुबिहा : छठ ऐसा पर्व हो गया है कि इस मौके पर छोटे-छोटे चट्टी-चौराहे भी गुलजार हो जाते हैं। दुबिहा मोड़, उतरांव मोड़, दुबिहा बाजार, करीमुद्दीनपुर बाजार के अलावा बाराचवर चट्टी पर फलों के अलावा दौरा, सूप व दीया-ढकनी बेचने वालों की दुकानें सज गई हैं। छठ व्रत करने वाली महिलाएं व उनके परिजन दुकानों से फल आदि की खरीदारी करना शुरू कर दिए है। इसके चलते इलाके में चहल-पहल बढ़ गई है।

थोक व्यापारी हुए खाली, अब खुदरा की बारी

मुहम्मदाबाद : छठ पूजन को लेकर बाजार फलों के कारोबार में लगे थोक व्यवसायी अब धीरे-धीरे फल की बिक्री कर खाली हो गए हैं। नगर के यूसुफपुर बाजार में थोक में फल का कारोबार करने वाले करीब 10 व्यवसायी है। यहां से नगर के अलावा ग्रामीण इलाकों में चट्टी चौराहों पर दुकान लगाकर फुटकर फल बेचने वाले दुकानदार फल खरीदकर ले जाते हैं। यूसुफपुर बाजार में छठ पर करीब एक करोड़ रुपए से अधिक का फल का व्यवसाय होता है। फल के थोक कारोबारी अशरफ अली राईनी, हीरालाल राईनी, अली अहमद राईनी नेबताया कि वह सिलीगुड़ी पश्चिम बंगाल से अन्नास, आंध्र प्रदेश से नारियल, जम्मू कश्मीर व हिमाचल प्रदेश से सेव, बिहार के नौगछिया व उत्तर प्रदेश के पड़रौना से केला, नासिक से अनार तथा नागपुर से संतरा व मुसम्मी मंगाए थे। बताया कि बाजार में छठ पर एक करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार होता है।

उपजिलाधिकारी ने गंगा घाटों का लिया जायजा

जमानियां : छठ पर्व को लेकर तहसील प्रशासन पूरी तरह से एक्टिव मोड़ में आ गया है। गुरुवार को उपजिलाधिकारी रमेश मौर्य, तहसीलदार आलोक व कुमार व कोतवाल विमल मिश्रा ने नगर के बलुआ, कंकड़वा, सतुवानी, बड़ेसर, चक्का बांध, जमदग्नि पशुराम, हरपुर सहित अन्य घाटों का जायजा लिया। उपजिलाधिकारी ने घाटों पर बैरिकेंडिग, नाव, गोताखोर, लाइटिग, साफ-सफाई का निर्देश नगरपालिका के चेयरमैन एहसान जफर को दिया। वहीं कोतवाल को सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रखने को कहा। साफ कहा कि इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। व्रती महिलाओं की सुविधा पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने चेयरमैन को कहा कि प्रत्येक घाट पर लगने वाले नाव पर गोताखोर के साथ एक नगर पालिका कर्मचारी सुरक्षा उपकरण होना के साथ लैस रहेगा जिसमें लाइफ जैकेट, रस्सी व टार्च शामिल है। घाटों पर सीढ़ी से पांच मीटर की दूरी पर पानी में बैरिकेडिग करने को कहा ताकि नहाते और अ‌र्ध्य देते समय महिलाएं गहरे पानी में नहीं जा सकें। कोतवाल विमल मिश्रा ने बताया गंगा घाटों पर सुरक्षा का पूरा इंतजाम किया गया है। व्रती महिलाओं को कोई परेशानी न हो इसका पूरी तरह से ख्याल रखा गया है। इस मौके पर नगरपालिका के कर एसबीएम प्रभारी विजय शंकर राय, सभासद प्रमोद यादव व लाला जायसवाल आदि लोग रहे।

गन्ना होता है प्रमुख प्रसाद

खानपुर : छठ पूजा में जितना महत्व सफाई व शुद्धता का होता है उतना ही महत्व पूजा में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद का भी होता है। साम‌र्थ्य के अनुसार व्रती महिलाएं फल, सब्जी व ठेकुआ आदि चढ़ाती हैं। पूजा में गन्ने का भी बड़ा महत्व है जिसका चयन लोग गन्ने के खेत मे जाकर करते हैं। सीधा और पूरे गांठों वाले गन्ने के पेड़ में किसी पक्षी के द्वारा चीरा न लगाया गया हो और चढ़ाए जाने वाला ईख गन्ने का बीज नहीं होना चाहिए। कई महिलाएं छठ पूजा के सायं अ‌र्ध्य के दिन शाम के समय आंगन में छह गन्ने का घेरा बनाकर उसके नीचे कलश व दीपक रखकर छठ मैया की पूजा करतीं है। गन्ने के मंडप को घेरकर व्रती महिलाएं रात भर देवी गीत गाते हुए रात्रि जागरण करतीं है। नदी किनारे भी इन छह गन्ने का मंडप बनाकर सूर्योपासना किया जाता है। इससे छठ मैय्या आनंद और समृद्धि प्रदान करती हैं। गन्ना का आवरण भी सख्त होता है जिससे पशु पक्षी इसे जुठला नहीं पाते हैं इसकी पवित्रता की वजह से भी छठ मैया को गन्ना प्रिय है। सेवानिवृत्त शिक्षक बसंती भारती बताती हैं कि गन्ना, चावल और स्त्री का जीवन चक्र एक समान ही होता है। इनका जन्म कहीं और होता है और इनका फलन-फूलन कहीं और होता है इसीलिए छठ पूजा में इन तीनों का महत्व बहुत अधिक होता है। छठ पूजा में ईख के गुड़ से प्रसाद भी बनाया जाता है।


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