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लॉकडाउन ने आम व्यवसायियों के अरमानों पर फेरा पानी

बारा (गाजीपुर) आम की फसल बेहतर होने से व्यवसायियों के चेहरे खिले थे लेकिन लॉकडाउन व आंधी ने अरमानों पर पानी फेर दिया। मुनाफे की आस लगाए बैठे व्यवसायियों के लिए इस बार आम घाटे की फसल साबित होगी। नुकसान से बचने को व्यवसायी कच्चे आम को मंडी में बेचने को मजबूर हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Jun 2020 05:18 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jun 2020 05:18 PM (IST)
लॉकडाउन ने आम व्यवसायियों के अरमानों पर फेरा पानी
लॉकडाउन ने आम व्यवसायियों के अरमानों पर फेरा पानी

फोटो- 8सी

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जागरण संवाददाता, बारा (गाजीपुर) : आम की फसल बेहतर होने से व्यवसायियों के चेहरे खिले थे, लेकिन लॉकडाउन व आंधी ने अरमानों पर पानी फेर दिया। मुनाफे की आस लगाए बैठे व्यवसायियों के लिए इस बार आम घाटे की फसल साबित होगी। नुकसान से बचने को व्यवसायी कच्चे आम को मंडी में बेचने को मजबूर हैं।

फलों का राजा आम को लॉकडाउन व आंधी का ग्रहण लग चुका है। लॉकडाउन के कारण उर्वरक व कीटनाशक नहीं मिलने से रोगों ने फसल को घेर लिया। बाकी बची फसल में 40 प्रतिशत का नुकसान तीन चार बार आई आंधी ने पहुंचाया। व्यवसायियों के जेहन में था कि लॉकडाउन खुलने के बाद फसल की बिक्री अच्छी होगी तो नुकसान की भरपाई हो जाएगी लेकिन समय लगातार बढ़ रहा है। व्यवसायी हाजी अबुसालेह खां, अयूब खां नासिर, जमशेद खां का कहना था कि दो साल के मुकाबले इस बार शुरूआत से ही फसल काफी बेहतर थी। लॉकडाउन संग आंधी का काफी प्रभाव फसल पर पड़ा है।

--- आसपास की मंडी में जाता है आम

: आम व्यवसायियों की मानें तो सालों पूर्व आम आसपास की मंडियों में एक्सपोर्ट होता था। धीरे-धीरे बागों का रकबा घटा तो पैदावार भी कम होने लगी। इससे एक्सपोर्ट बंद हुआ लेकिन स्थानीय मंडी में आम की खपत बेहतर है। आम खरीदने के लिए व्यापारी  बागों में ही आते हैं। बागों में ही आम बिक्री हो जाती है।

--- कच्चे आम बेचने को मजबूर

: व्यवसायियों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण यह आस भी खत्म हो गई है कि ग्राहक अब बाग में आकर आम खरीदेंगे। कोरोना प्रकोप बढ़ने से खुद ही कच्चे आम को तोड़कर मंडियों में सप्लाई कर रहे हैं। कहना है कि जल्द आम पकने लगेगा अगर ऐसे में पूर्व की भांति बिक्री नहीं हुई तो लागत की भरपाई भी नहीं हो पाएगी। नुकसान से बचने के लिए अधिकांश व्यवसायी कच्चा आम मंडियों में सप्लाई कर रहे हैं।


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