कविता और शेर-ओ-शायरी पर झूमते रहे श्रोता
बारा (गाजीपुर) स्थानीय गांव स्थित गुलशन-ए-महमूद प्रांगण में रविवार देर शाम तक ठहाकों का दौर चला। श्रोता कविता और शेर-ओ-शायरी पर झूमते रहे। मौका था बारा साहित्य मंच की ओर से आयोजित हुस्ना रूस्तम खां जज औरंगाबाद (महाराष्ट्र) की स्वागत समारोह में मुशायरा व कवि सम्मेलन का।
जागरण संवाददाता, बारा (गाजीपुर) : स्थानीय गांव स्थित गुलशन-ए-महमूद प्रांगण में रविवार देर शाम तक ठहाकों का दौर चला। श्रोता कविता और शेर-ओ-शायरी पर झूमते रहे। मौका था बारा साहित्य मंच की ओर से आयोजित हुस्ना रूस्तम खां जज औरंगाबाद (महाराष्ट्र) की स्वागत समारोह में मुशायरा व कवि सम्मेलन का। इसमें विभिन्न स्थानों से आए कवियों व शायरों के अलावा स्थानीय कलाकारों ने भी प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान मुख्य अतिथि औरंगाबाद की जज हुस्ना रुस्तम उपस्थित थीं। कार्यक्रम का शुभारंभ शादाब खां ने कलाम - ए - पाक की तिलावत से किया। इसके बाद मुशायरा व कविताओं का दौर शुरू हुआ। कार्यक्रम में सरफराज आसी ने अपने मुशायरे से महफिल में जहां चार चांद लगा दिया, वहीं सुमन युसूफपुरी ने अपनी कविता के माध्यम से भाईचारे व देश प्रेम का संदेश दिया। कवियों ने और शायरों ने अपने गजल और शायरी के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियों पर प्रहार किया। चंचल युसूफपुरी, मिथिलेश गहमरी, कलीम युसूफपुरी, अयूब नासिर, मुजाहिद बारवी ने एक से बढ़कर एक शेर प्रस्तुत कर महफिल में चार चांद लगा दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अशफाक खां व संचालन खान मोहम्मद जियाउद्दीन कासिम ने किया। बारा साहित्य मंच के संरक्षक सरवत महमूद खां ने बारा साहित्य मंच के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम को सफल बनाने में वरिष्ठ सपा नेता नसन खां, शाहनवाज खां, मास्टर नजीर खां, शब्बू खां, तलत महमूद उर्फ मिटू, असलम खां चुन्नू, अलीशेर खां, मास्टर सुहैल आदि का योगदान रहा।