गाजीपुर को शिक्षा के फलक पर बाबू स्व. राजेश्वर सिंह ने चमकाया, सीएम योगी ने मूर्ति का किया अनावरण
गाजीपुर जिले को शिक्षा के फलक पर चमकाने वाले स्व. बाबू राजेश्वर सिंह की पहचान पूर्वांचल में किसी परिचय का मोहताज नहींं है। जिले में शिक्षा की अलख जगाने वाले राजेश्वर सिंह की प्रतिमा का शुक्रवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने अनावरण भी किया।
गाजीपुर [जितेंद्र यादव]। जनपद में शिक्षा की अलख जगाने को दर्जन भर शिक्षण सहित विभिन्न संस्थानों की स्थापना करने वाले बाबू स्व. राजेश्वर सिंह का व्यक्तित्व जनपद के लिए आज भी प्रासंगिक है। बचपन में अनाथ होने के बाद भी उनका हौसला नहीं डिगा। पहला शिक्षण संस्थान पीजी कालेज की स्थापना के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। इसके लिए तिनका-तिनका जोड़ा और पाई-पाई जुटाई, लोगों से सहयोग लिया, तब जाकर यह जनपद का सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान खड़ा हो सका। आज इसमें 10 हजार छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। भले ही आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके व्यक्तित्व की आभा आज भी उसी तरह जनपद की फिजा में दमक रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज उनकी प्रतिमा का अनावरण कर उनके यश व कीर्ति में और चार चांद लगाएंगे।
लहुरी काशी के इस विख्यात कर्मयोगी, शिक्षाविद व अधिवक्ता बाबू राजेश्वर प्रसाद सिंह का जन्म 1923 में सैदपुर ब्लाक के रामपुर गांव निवासी जिले के प्रतिष्ठित परिवार के जमींदार बाबू सरजू प्रसाद सिंह के घर हुआ था। पिता सरजू प्रसाद सिंह पेशे से वकील थे और डिस्ट्रिक्ट बोर्ड एवं डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष थे। राजेश्वर प्रसाद सिंह के माता-पिता का निधन उनके बाल्यकाल में हो गया था।
श्री सिंह की प्राथमिक शिक्षा गांव में हुई। तत्पश्चात राजकीय सिटी इंटर कालेज से हाईस्कूल तक की शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने उदय प्रताप कालेज, वाराणसी से 1946 में इंटरमीडिएट परीक्षा पास की तथा स्नातक एवं विधि स्नातक की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से प्राप्त कर 1950-51 में गाजीपुर में वकालत प्रारम्भ किया।
श्री सिंह का विवाह सन 1946 में वाराणसी जिले (अब चंदौली जिला) के सकलडीहा कोट के प्रतिष्ठित जमींदार बाबू ईश्वरी नारायण सिंह उर्फ बाबू मुकुट बिहारी सिंह की पुत्री मगनेश्वरी सिंह से हुआ। राजेश्वर बाबू की चार संतानें हुईं। सबसे ज्येष्ठ पुत्री पुष्पा सिंह एवं तीन पुत्र अमिताभ सिंह, अजीत कुमार सिंह तथा संजीव सिंह।
गरीब बच्चों को शिक्षित करना थी प्राथमिकता : राजेश्वर सिंह की प्राथमिकता थी कि गरीब के बच्चों के लिए उच्च शिक्षा जनपद में ही उपलब्ध हो सके। जिसके लिए जिले में शिक्षा के नये-नये पाठ्यक्रम प्रारंभ कर उन्होंने शिक्षा के बदलते दौर में भी गाजीपुर को आगे रखने का भरपूर प्रयास किया। जिनके प्रयास से आज गरीब, निर्धन और बेसहारा परिवारों के छात्र-छात्राएं स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा ग्रहण करके देश की सेवा में लगे हैं। गांव पूर्व प्रधान शेषनाग सिंह बताते हैं कि बाबू राजेश्वर सिंह की प्राथमिक शिक्षा गांव से शुरू हुई फिर राजकीय सिटी इंटर कालेज गाजीपुर से हाईस्कूल की शिक्षा ग्रहण किया। उदय प्रताप कालेज वाराणसी से 1946 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर स्नातक एवं विधि स्नातक की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त करने के बाद गाजीपुर में वकालत प्रारंभ किया। कई सामाजिक संगठनों सहित आधा दर्जन शिक्षा समितियों की अध्यक्षता करते हुए जनपद में उच्च शिक्षा के कई विद्यालयों के स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। जीवन के अंतिम दिनों तक समाज सेवा, शिक्षा और युवा उत्थान के लिए प्रयासरत रहे।
निर्मित संस्थाएं व धारित पद
1- स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर की स्थापना जुलाई, 1957
2- होमियोपैथिक कालेज की स्थापना 1962
3- आदर्श इण्टर कालेज की स्थापना 1965
4-1966 के राष्ट्रव्यापी के समय जिला अकाल पीड़ित सूखा सहायता समिति की स्थापना।
5-जिला खेलकूद संघ की स्थापना एवं इसके मानद सचिव रहते नेहरू स्टेडियम
का निर्माण।
6- गांधी शताब्दी समिति के सदस्य के रूप में जन्मशती वर्ष 1969 विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन में अग्रणी भूमिका।
7-जिला ग्रामोद्योग संस्थान की स्थापना।
8- जिला कुष्ट निरोग एवं सेवा
समिति की स्थापना।
9- कविन्द्र, रविन्द्र एवं स्वामी विवेकानन्द स्मारक समिति की स्थापना।
10- जिला हरिजन सेवा संघ की स्थापना।
11-उत्तर प्रदेश कम्बल बुनकर विकास सेवा समिति की जिला इकाई की स्थापना।
12- विकास निगम, ददरीघाट गाजीपुर की स्थापना 1966-67
13- राही मासूम रजा शोध एवं सृजन संस्थान की स्थापना।
14-डिवाइन हार्ट फाउण्डेशन (भारत) की स्थापना।
15- जिला भारत सेवक समाज के विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों में 10 वर्ष तक कार्यरत।
16- गृह निर्माण समिति, गाजीपुर के अध्यक्ष के रूप में 30 वर्ष कार्यरत रहे।
17- सिविल बार एसोसिएशन गाजीपुर के अध्यक्ष।
18-जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में जनपद का कार्य संचालन।
19- तकनीकी शिक्षा एवं शोध संस्थान, पीजी कालेज, गाजीपुर की स्थापना: 1994
20-राजर्षि बाल विद्या मंदिर, महुआबाग गाजीपुर की स्थापना।
21-कृषि विज्ञान केंद्र, पीजी कालेज, गाजीपुर की स्थापना: 2002
22-अध्यक्ष/संरक्षक श्री शमाचरण संघ, भारत।
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