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होली के उत्सव में डूबी लहुरीकाशी रंगों से हुई सराबोर

होली के उत्सव में डूबी लहुरीकाशी रविवार को रंगों से सराबोर हो गई। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में सोमवार को हर्षोल्लास और भाईचारे के साथ रंगों का त्योहार होली मनाई गई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Mar 2021 04:40 PM (IST)Updated: Tue, 30 Mar 2021 04:40 PM (IST)
होली के उत्सव में डूबी लहुरीकाशी रंगों से हुई सराबोर
होली के उत्सव में डूबी लहुरीकाशी रंगों से हुई सराबोर

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : होली के उत्सव में डूबी लहुरीकाशी रविवार को रंगों से सराबोर हो गई। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में सोमवार को हर्षोल्लास और भाईचारे के साथ रंगों का त्योहार होली मनाई गई। लोग रंग-गुलाल लगाते हुए सड़कों पर निकल आए। पूरे दिन ढोल एवं मंजीरे की थाप पर नाचते-गाते लोगों ने एक दूसरे के घरों में जाकर रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं। होली का हुड़दंग दोपहर बाद थम गया। लोगों ने स्नान कर नए कपड़े पहने और बड़ों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लिया। शाम होते ही शुरू हो गया मिलने-मिलाने का सिलसिला। लोगों ने एक-दूसरे के घर जाकर पर्व की खुशियों को आपस में बांटा। इस दौरान घर-घर बने गुजिया व तरह-तरह के व्यंजनों का लोगों ने आनंद लिया।

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सुबह सात बजे से सड़कों पर निकल कर रंग खेलने की शुरुआत बच्चों ने की। वे पिचकारी में पानी लेकर ही आने-जाने वालों को भिगोने लगे। बाद में बड़ों के साथ मिलकर उन्होंने रंगों भरी बाल्टी से रंग खेलना शुरू कर दिया। महिलाएं व युवतियां भी रंग लगाने में पीछे नहीं रहीं। वहीं बुजुर्गाें ने टोलियों में निकल कर मोहल्ले-मोहल्ले जाकर लोगों को रंग लगाया। मुहम्मदाबाद : नगर स्थित शाहनिदा दुर्गा चौक व यूसुफपुर नटराज मोड़ के पास दोपहर तक एकत्रित होकर युवकों ने जमकर रंग गुलाल खेला। दोपहर बाद लोग देवालयों में जाकर अबीर चढ़ाने के बाद अपने ईष्टमित्रों के यहां पहुंचकर अबीर लगाकर होली की शुभकामनाएं दी और पकवान खाया। नंदगंज : स्थानीय क्षेत्र सहित बरहपुर, नैसारा, ईशोपुर, रामपुर बंतरा, दवोपुर, अतरसुआं, श्रीगंज, सिहोरी आदि ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह पर लोग एकत्रित होकर आपस में रंग गुलाल लगाकर नाचते गाते हुए होली खेले। दोपहर बाद लोगों ने नया वस्त्र धारण कर देवालयों में जाकर भूतभावन को अबीर चढ़ाया।

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महिलाओं ने भी घर की छतों से बरसाए रंग

गहमर : सुबह से हुरियारों की टोली हुड़दंग मचाती हुई घरों से निकल गई। इस दौरान जो भी इस टोली की जद में आया बिना रंगे नहीं छूटा। छोटे बच्चे और महिलाओं ने भी घरों की छतों से हुड़दंगों की टोली पर रंग बरसाए। लेकिन होली की मस्ती में चूर लोगों को बरसने वाले रंगों की कोई परवाह नहीं थी। वह लोग अपनी मस्ती में ही जोगिरा गाते हुए घूमते नजर आए। हालांकि डीजे बजाने की परमीशन न मिलने के कारण बहुत से लोग उदास नजर आए लेकिन जहां भी डीजे बजता मिला वहां ठुमका लगाने से बाज नहीं आए। बहादुरगंज : कस्बा के पुरानीगंज स्थित झिलमिट दास कुटी से फगुआ (होली) का पारंपरिक जुलूस निकाला गया। जुलूस परंपरागत मार्ग विजय राघव संगत कुटी, राधा कृष्ण मंदिर, हनुमान मंदिर, शिवालय मंदिर होते हुए महावीर घाट स्थित मंदिर पर पहुंचकर समाप्त हुआ। मंदिर परिसर में देर रात तक गाना बजाना चलता रहा। जुलूस में ढ़ोलक, झाल, मजीरा के साथ लोग फगुआ, चैता गाते एवं जोगीरा कहते हुए चलते रहे। जमानियां : सुबह रंग और गुलाल में सराबोर लोग एक दूसरे को गले मिलकर बधाई दिए और शाम को अबीर लगाकर एक दूसरे को शुभकामनाएं दी। दिलदारनगर : सुबह रंग तो शाम को फिजाओं में अबीर उड़ रहा था। शाम को लोग एक-दूसरे के घर जाकर उनको पर्व की शुभकामनाएं दी।

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पर्व और परंपराओं का अनुपम संगम रहा रविवार

खानपुर : स्थानीय बाजार में रविवार को भारतीय संस्कृति और पर्वो की अनोखी छटा देखने को मिली। हिन्दू धर्मावलंबी होलिका जला रहे थे वहीं पास के कब्रिस्तान में मुस्लिम समुदाय के लोग अपने पूर्वजों के कब्र पर फातिहा पढ़ रहे थे। दूसरी ओर ईसाई समुदाय के लोग पाम संडे का त्योहार भी मना रहे थे। क्षेत्र में शांति से तीन धर्मों के शब-ए-बरात, होलिका दहन और पाम संडे मनाया गया। पुलिस जगह-जगह पर मुस्तैद नजर आई। रंगों के त्योहार होलिका दहन पर लोगों ने होलिका जलाई, शब-ए-बरात पर कब्रिस्तान जाकर फातिहे भी पढ़े और पाम संडे पर प्रार्थना सभा भी आयोजित की गई। कोविड प्रोटोकाल के साथ मसीही समाज ने प्रभु यीशु की प्रार्थना कर बाइबिल का पाठ किया और लोग हाथों में खजूर की सजी हुई डालियां लेकर प्रभु यीशु के सम्मुख पहुंचकर मिस्सा पूजा में शामिल हुए। मुस्लिम समाज के चार दर्जन कब्रिस्तानों में रविवार की रात में लोगों ने पहुंचकर फातिहा पढ़ी और मोमबत्ती से रोशनी कर अपने गुनाहों की माफी मांगी। रात भर जगमगाहट से भरे मस्जिद में इबादत होती रही और हिन्दू समुदाय से जुड़े लोग रात भर होलिका जलाकर गीत संगीत के साथ उत्सव मनाते रहे।


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