राजा दशरथ किए थे मंदिर की स्थापना
मरदह (गाजीपुर) : महाहर धाम परिसर में स्थित प्राचीन शिव मंदिर आस्था एवं विश्वास का केंद्र
मरदह (गाजीपुर) : महाहर धाम परिसर में स्थित प्राचीन शिव मंदिर आस्था एवं विश्वास का केंद्र है। मान्यता यह है कि इस मंदिर की स्थापना त्रेता युग में चक्रवती सम्राट महाराजा दशरथ ने की थी। लोगों का कहना कि इस मंदिर में पूजा अर्चन करने से मन की मुराद पूरी होती है।
अयोध्या के राजा भगवान राम के पिता दशरथ द्वारा हिरण के भ्रम में माता-पिता के भक्त श्रवण कुमार को शब्द भेदी बाण मार देने की घटना का स्थल महाहर धाम के पास स्थित पोखरे को माना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन दर्शन पूजन के लिए बलिया, मऊ, वाराणसी, आजमगढ़, वाराणसी सहित कई प्रांतों के श्रद्धालु महाहर धाम पर आते हैं। महाहर धाम पर महाशिवरात्रि पर्व पर मेला का आयोजन किया जाता है। यह मेला सप्ताह भर चलता है।
मंदिर पर पहुंचने का मार्ग
मरदह से महाहर धाम की दूरी पांच किमी है। निजी वाहन सहित सवारी आटो, जीप आदि से लोग मंदिर तक पहुंचते हैं। जिला मुख्यालय से महाहर धाम की दूरी 25 किमी है। जिला मुख्यालय से रोडवेज एवं रौजा स्टैंड से प्राइवेट बस आदि से बरही चट्टी या मरदह तक श्रद्धलु जाते हैं। बरही व मरदह से आटो आदि से महाहर धाम तक जाते हैं।
उपासना का विशेष महत्व
मंदिर के पुजारी गुलाब दास ने बताया कि महाशिवरात्रि पर्व के दिन सच्चे मन से व्रत रहने एवं भगवान शिव का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भगवान शिव का इस पर्व पर आराधना एवं व्रत रहने वाले भक्तों पर विशेष कृपा होती है। भक्तों का कोई कार्य बाधित नहीं होता है।