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भोजपुरी के कालिदास थे डा. विवेकी राय

जागरण संवाददाता, गाजीपुर: साहित्यिक पत्रिका पाती के डा. विवेकी राय स्मृति अंक का लोकार्पण्

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Nov 2017 06:17 PM (IST)Updated: Sun, 19 Nov 2017 06:17 PM (IST)
भोजपुरी के कालिदास थे डा. विवेकी राय
भोजपुरी के कालिदास थे डा. विवेकी राय

जागरण संवाददाता, गाजीपुर: साहित्यिक पत्रिका पाती के डा. विवेकी राय स्मृति अंक का लोकार्पण रविवार को स्वामी सहजानंद पीजी कालेज के सभागार में हुआ। लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि संचार राज्य स्वतंत्र प्रभार व रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने इस मौके पर कहा कि विवेकी राय लिखते तो थे स्वान्त: सुखाय के लिए जो आगे चलकर वही कृति परांत सुखाय हो जाती थी। वे ¨हदी के प्रेमचंद की अगली कड़ी तो भोजपुरी के कालिदास थे।

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मुख्य वक्ता बीएचयू ¨हदी विभाग के प्रोफेसर अवधेश प्रधान ने कहा कि डा. विवेकी राय कलम के जोर से समाज के तमाम कल्मष के विरूद्ध संघर्ष करते हुए उस उंचाई को प्राप्त किए जहां पहुंचना प्राय: सामान्य रचनाकारों के बश की बात नहीं। वह डा. शिव प्रसाद ¨सह, राही मासूम रजा, कुबेर नाथ राय की श्रेणी में सबसे सशक्त रचनाकार के रूप में याद किएजाएंगे। देश की आबादी के तीन चौथाई किसान वर्ग को डा. राय ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सशक्त पहचान दी। डा. पीएन ¨सह ने कहा कि आने वाले दिनों में जनपद की साहित्यिक क्षेत्र में पहचान कुबेर नाथ राय और विवेकी राय से होगी। रामावतार ने कहा कि वह बहुआयामी प्रतिभा के धनी रचनाकार थे। डिप्टी कमिश्नर ओम धीरज ने कहा कि विवेकी राय ¨हदी और भोजपुरी के सेतु थे। उनके साहित्य की पृष्ठभूमि ग्रामीण होते हुए भी व्यापक फलक वाली थी। पूर्व आइएएस लालजी राय ने कहा कि विवेकी राय के नाम पर जिला मुख्यालय पर शोध संस्थान होना चाहिए।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे उप्र ¨हदी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष डा. कन्हैया ¨सह ने कहा कि डा. राय निर्मल मन के ऊंचे साहित्यकार थे। समारोह में शेषनाथ राय, डा. जया पांडेय, विजय शंकर राय एडवोकेट, डा. धीरेंद्र राय, डा. चंद्रशेखर तिवारी, डा. शकुंतला राय, दीनानाथ शास्त्री, अमिताभ अनिल दुबे, पूर्व प्रधानाचार्य विजय शंकर राय आदि ने विचार व्यक्त किया। अतिथियों का स्वागत पूर्व प्राचार्य व पत्रिका के प्रधान संपादक डा. मांधाता राय तथा आभार ज्ञापन डा. विनीता राय ने किया। संचालन डा. गजाधर शर्मा गंगेश ने किया। समारोह को सफल बनाने में डा. जयराम राय, दिनेश राय, आनंद अंकुर, यशवंत, हरिओम, हरिवंश आदि का योगदान रहा।


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