भगवान की कथा सुनने की सभी युगों की है परंपरा
मलसा (गाजीपुर) सुहवल स्थित देवी भगवती मंदिर प्रांगण में आयोजित पांच दिवसीय रामकथा में गुरुवार को राघवाचार्य राहुल महाराज ने कथा का अमृत पान कराया। कहा कि भगवान की कथा चारों युगों में कही और सुनी जाने की परम्परा रही है।
जासं, मलसा (गाजीपुर) : सुहवल स्थित देवी भगवती मंदिर प्रांगण में आयोजित पांच दिवसीय रामकथा में गुरुवार को राघवाचार्य राहुल महाराज ने कथा का अमृत पान कराया। कहा कि भगवान की कथा चारों युगों में कही और सुनी जाने की परम्परा रही है। सतयुग, त्रेता और द्वापर में परमात्मा ने अपने भक्तों के लिए विभिन्न शरीरों को धारण करके लीला किया। उनकी लीला को देखकर उस समय भी कुछेक लोगों को उनपर विश्वास हुआ तो अनेक ऐसे भी थे जिन्होंने भगवान को साधारण जीव ही समझा। कलिकाल में तो हमारा खान-पान, रहन-सहन सबकुछ दूषित हो चुका है। धर्म-कर्म लुप्तप्राय हो गया है। फिर परमात्मा पर विश्वास कैसे हो। कलियुग में केवल भगवान का नाम और उनके गुण समूहों का गायन, कथन, श्रवण और सुमिरन ही जीव के आत्मकल्याण के सुगम एवं सुलभ साधन हैं। अत: यज्ञ, जप, तप
और ध्यान न भी करें तो कोई बात नहीं, भगवान की कथा और नाम संकीर्तन को ही भक्ति राह की नौका बना भवसागर पार कर जाएं। सत्संग में मानस मर्मज्ञ अखिलेश महाराज और सदन बिहारी चौबे ने भी कथा अमृत पान कराया। कथामंच का संचालन दयाशंकर पांडे ने किया।