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बाढ़ में किसानों की सैकड़ों एकड़ धान की फसल डूबी

- रबी की बोआई पर भी खड़ा हो गया संकट शारदा नहर से पानी छोड़े जाने के चलते उफनाई मंगइ्र नदी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2020 09:39 PM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2020 05:08 AM (IST)
बाढ़ में किसानों की सैकड़ों एकड़ धान की फसल डूबी
बाढ़ में किसानों की सैकड़ों एकड़ धान की फसल डूबी

- रबी की बोआई पर भी खड़ा हो गया संकट, शारदा नहर से पानी छोड़े जाने के चलते उफनाई मंगई नदी जागरण संवाददाता, लौवाडीह (गाजीपुर) : मंगई नदी के उफान से लौवाडीह, जोगामुसाहिब, परसा, राजापुर, रघुवरगंज, खेमपुर, सिलाइच, मूर्तजीपुर, महेंद व सरदरपुर आदि गांव के सिवान में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। किसानों की सैकड़ों बीघे धान की खड़ी फसल डूब गई है। वहीं हजारों एकड़ खेत पानी मे डूब गए हैं। ऐसे में धान की फसल नष्ट तो हो ही जाएगी, वहीं रबी की बोआई भी अब होनी मुश्किल है।

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कुल मिलाकर मंगई का पानी एक बार फिर किसानों के लिए बड़ी समस्या लेकर आ गया है। पानी का बढ़ाव इतना तेज है कि गांवों के नजदीक पहुंच गया है। तेजी से पानी बढ़ने का कारण शारदा नहर से पानी छोड़ा जाना बताया जा रहा है। पिछले वर्ष अक्टूबर में शारदा नहर से पानी छोड़ा गया जिससे खेतों की बोआई नहीं हो पाई थी। जागरण ने लगातार अभियान चलाया उसके बाद प्रशासन जागा और महेंद्र, सोनवानी और सरदापुर में लगे जाल को हटाया गया। उच्च न्यायालय के आदेशानुसार सितंबर माह में शारदा नहर द्वारा पानी नहीं छोड़ा जाएगा। ग्रामीणों का अनुमान है कि अगर शारदा नहर से पानी नहीं छोड़ा गया होता तो पानी के बहाव की गति इतनी तेज न होती।

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बर्बाद हो रहा खादर

: करइल का यह इलाका खादर कहा जाता है और उपरोक्त गांव के अनाज के उपज में सर्वाधिक योगदान इसी क्षेत्र की खेती का होता है। इस इलाके में मसूर, चना, मटर, अलसी, सरसों की खेती सर्वाधिक होती है इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि यह इलाका इतना उपजाऊ है कि इसमें दलहनी फसलों में किसानों को उर्वरक का प्रयोग नहीं करना पड़ता है। लेकिन विगत दो वर्षों से इस क्षेत्र के अधिकांश भाग की बोआई नहीं हो पाती है। अगर समय रहते प्रशासन द्वारा उचित कार्रवाई नहीं की गयी तो इस इलाके में खेती नहीं हो पाएगी।


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