गिरेगा नाला का पानी तो कैसे स्वच्छ होंगी मां गंगा
जासं जमानियां (गाजीपुर) जीवनदायनी मां गंगा को अवरिल और निर्मल बनाने को लेकर केंद्र सरकार की ओर से चलाई गई नमामि गंगे योजना को नगर पालिका ही पलीता लगा रहा है। गंगा को स्वच्छ और निर्मल होने में नाला बाधक बने हैं। इससे पानी प्रदूषित हो रहा है। गंदगी की वजह से स्नानार्थियों को दिक्कतें होती हैं वही जलीय जीवों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है। सवाल यह है कि जब गंगा में नाला का पानी गिरेगा तो पतित पावनी स्वच्छ कैसे होंगी।
जासं, जमानियां (गाजीपुर) : जीवनदायनी मां गंगा को अविरल और निर्मल बनाने को लेकर केंद्र सरकार की ओर से चलाई गई नमामि गंगे योजना को नगर पालिका ही पलीता लगा रहा है। गंगा को स्वच्छ और निर्मल होने में नाला बाधक बने हैं। इससे पानी प्रदूषित हो रहा है। गंदगी की वजह से स्नानार्थियों को दिक्कतें होती हैं वही जलीय जीवों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है। सवाल यह है कि जब गंगा में नाला का पानी गिरेगा तो पतित पावनी स्वच्छ कैसे होंगी।
स्थानीय नगर पालिका के कस्बा बाजार का घरों से निकलने वाला गंदा पानी नालों से होकर सीधे गंगा में गिर रहा है। इससे गंगा का पानी प्रदूषित हो रहा है। साथ ही तटीय क्षेत्र में दुर्गध व गंदगी से जनजीवन प्रभावित हो रहा है। नगर के चौधरी मोहल्ला, बलुआघाट, दुर्गा चौक, हरपुर, कंकड़वाघाट स्थानों पर बने नालों से गंदा पानी गंगा में सीधे गिरता है। पालीथिनयुक्त कचरा व दूषित पदार्थ भी बहता है। गंगा को साफ-सुथरा करने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं लेकिन जमानियां में गंगा निर्मल नहीं हुईं। गंगा स्वच्छता को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) भी सख्त है। फिर भी नालों का गंदा पानी गिराया जा रहा है। इस पर रोक नहीं लगा तो स्थिति और भयावह होगी। ऐसे में सरकार की ओर से करोड़ों रुपये की लागत से चलाया जा रहा गंगा सफाई अभियान हवाहवाई साबित हो रहा है। वर्ष 2008 में गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा मिलने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने गंगा के प्रवाह क्षेत्र वाले राज्यों को गंगा किनारे के नगरों में विभिन्न चरणों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का आदेश दिया था।
------ दो एसटीपी लगाने का हुआ था प्रस्ताव
वर्ष 2009-10 में जल निगम ने सर्वे कर 36 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया। इसके तहत पांच एमएलडी क्षमता के दो एसटीपी तथा नौ किलोमीटर लंबी सीवर लाइन बिछाने का सर्वे हुआ। कस्बा, स्टेशन बाजार व हरपुर के मुख्य मार्गो पर सीवर लाइन बनाने के बाद मोहल्लों के ब्रांच लाइनों को इसे जोड़ना था। पहला एसटीपी स्टेशन बाजार व दूसरा कस्बा और हरपुर के बीच लगाया जाना था। नगर के दूषित जल को एसटीपी में उपचारित करने के बाद नहरों के माध्यम से इस पानी को सिचाई के काम में भी उपयोग किया जा सकता था। परियोजना को मंजूरी के लिए फाइल शासन को भेजी गई। यह दीगर बात है कि इसे मंजूरी नहीं मिल पाई। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगने के बाद दूषित जल को उपचारित किया जा सकता है। इससे गंगा प्रदूषण को कम करना संभव होगा।
----- छह नालों पर हुई है टेपिग
गंगा नदी में कचरा न जाय इसके लिए छह नालों पर चेंबर बनाकर जाली लगाया गया है। कचरा चेंबर में रह जाता है जिसे सफाई कर्मी निकाल देते हैं और पानी निकल जाता है।
- मो. सब्बुर, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद जमानियां।