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Ghazipur News : 18 तारीख और सात गवाहों को सुनने के बाद 50 दिनों में दुष्कर्मी को कोर्ट ने दी 20 वर्ष की सजा

विशेष न्यायाधीश पाक्सो प्रथम की अदालत ने बालिका के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद 18 तारीख और सात गवाहों को सुनने के बाद 50 दिनों में आरोपित को 20 साल की कड़ी कैद के साथ 25 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुना दी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 06 Sep 2022 08:49 PM (IST)Updated: Tue, 06 Sep 2022 08:49 PM (IST)
Ghazipur News : 18 तारीख और सात गवाहों को सुनने के बाद 50 दिनों में दुष्कर्मी को कोर्ट ने दी 20 वर्ष की सजा
18 तारीख और सात गवाहों को सुनने के बाद मात्र 50 दिनों में आरोपित 20 साल की सजा दी गई।

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : विशेष न्यायाधीश पाक्सो प्रथम राकेश कुमार की अदालत ने 11 वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद 18 तारीख और सात गवाहों को सुनने के बाद मात्र 50 दिनों में आरोपित पवन राम को 20 साल की कड़ी कैद के साथ 25 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुना दी।

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मुकदमे में पीड़िता और पिता कोर्ट में जिरह के दौरान नहीं डिगे। कासिमाबाद कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक व विवेचक पन्नेलाल कन्नौजिया (मौजूदा बलिया जिले के नरही थानाध्यक्ष ) की ओर से पीड़िता के खून और आरोपित के वीर्य की जांच ने उसे सजा तक पहुंचा दिया।

कासिमाबाद कोतवाली के एक गांव निवासी पिता ने 15 अक्टूबर 2021 को तहरीर दी कि रात में वह अपने परिवार के साथ सो रहा था। करीब 11 बजे पड़ोसी पवन कुमार राम घर में घुस गया और उसकी 11 वर्षीय बालिका से दु्ष्कर्म किया। बालिका के शोर मचाने पर आरोपित फरार हो गया। खून से लतपथ बालिका को अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद आरोपित को गिरफ्तार कर लिया था। बालिका कक्षा चार की छात्रा थी। मुकदमे के विवेचक प्रभारी निरीक्षक पन्नेलाल ने

पीड़िता का न्यायालय में 164 सीआरपीसी में बयान दर्ज कराया। विवेचक ने कपड़े पर लगे पीड़िता के खून के निशान और आरोपित के वीर्य के सैंपल जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला गोरखपुर को भेजा था, जो आरोपितों का मैच हो गया। विवेचना उपरांत आरोपित के विरुद्ध 18 जुलाई 2022 को न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया। विशेष लोक अभियोजक प्रभुनारायण सिंह ने सात गवाहों को पेश किया। सभी गवाहों ने अपना-अपना बयान दर्ज कराया। दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने उपरोक्त फैसला 50 दिन में सुनाया।


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