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भारतीय लोकतंत्र को दिया प्रतिपक्ष की राजनीति का सैद्धांतिक आधार

जागरण संवाददाता गाजीपुर समाजवादी नेता डा. राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि के अवसर पर सोम

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 04:53 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 04:53 PM (IST)
भारतीय लोकतंत्र को दिया प्रतिपक्ष की राजनीति का सैद्धांतिक आधार
भारतीय लोकतंत्र को दिया प्रतिपक्ष की राजनीति का सैद्धांतिक आधार

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : समाजवादी नेता डा. राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि के अवसर पर सोमवार को समता भवन पर समाजवादी पार्टी की ओर से विचार गोष्टी का आयोजन किया गया। गोष्ठी आरंभ होने के पूर्व दल के सभी नेताओं ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए देश में व्याप्त गैर बराबरी को समाप्त कर समतामूलक समाज बनाने का संकल्प लिया।

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जिलाध्यक्ष रामधारी यादव ने कहा कि वह अन्याय, जुल्म और शोषण के खिलाफ सदैव संघर्ष करते रहें। डा. लोहिया को निरंकुश शासन स्वीकार्य नहीं था, वह आर्थिक एवं राजनीतिक विकेंद्रीकरण के समर्थक थे। वह स्त्री पुरुष समानता के प्रबल समर्थक थे। भारत में समाजवादी विचारधारा को एक आंदोलन का स्वरूप प्रदान करने एवं उसे प्रभावशाली ढंग से प्रचारित करने वाले चितक थे। आगे कहा कि डा. लोहिया एक गांधीवादी चितक, राजनीतिक, इतिहासकार, अर्थशास्त्री, दार्शनिक तथा विख्यात लेखक थे। जीवन के प्राय: सभी पक्षों पर इन्होंने गहन चितन किया तथा भारतीय परिस्थितियों में इसे व्यावहारिक बनाने के उपायों का सफलतापूर्वक आजीवन खोज किया। लोहिया गांधीवादी थे लेकिन उनके विचार उग्र थे , वह क्रांतिकारी थे लेकिन उनके विचारों में असाधारण रचनात्मकता थी। कार्यक्रम में मुख्य रूप से जिलाध्यक्ष रामधारी यादव के साथ पूर्व मंत्री जैकिशन साहू, पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश कुशवाहा, अरुण कुमार श्रीवास्तव, डा. समीर सिंह, रामयश यादव, हरवंश यादव, अवधेश कुशवाहा, मंगला यादव आदि उपस्थित थे। गोष्ठी का संचालन जिला उपाध्यक्ष कन्हैया लाल विश्वकर्मा ने किया।

हमेशा सत्ता में किया संघर्ष

कासिमाबाद : प्रभु नारायण सिंह महाविद्यालय के परिसर में भी कार्यक्रम आयोजित हुआ। डा. बृजभान सिंह बघेल ने कहा कि डा. लोहिया का बचपन अभावग्रस्त स्थिति में भी था। वह एक सामान्य व्यवसायी परिवार के थे कितु 1934 में उन्हें जर्मनी सरकार की विशेष स्कालरशिप मिली और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी किया। वे चाहते तो ऐशो-आराम की जिदगी जीते लेकिन हमेशा सत्ता से संघर्ष की राजनीति किया और भारतीय लोकतंत्र को प्रतिपक्ष की राजनीति का सैद्धांतिक आधार दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन में पीएनएस पब्लिक स्कूल के प्राचार्य श्रीकांत सिंह ने कहा कि लोहिया ने दाम बांधों काम दो का नारा दिया था जिसे वर्तमान सरकार पूर्णतया नकार चुकी है। आलू, प्याज, दाल, आटा के भाव आसमान छू रहे हैं जिससे गरीब अपनी जीविका चलाने में असमर्थ है। सत्यम शाही ने कहा कि भारतीय समाजवाद के मसीहा डा. लोहिया ने समाज में समानता व सद्भावना को स्थापित करने के लिए संघर्ष किया। बालेश्वर विक्रम ने कहा कि गांधी, लोहिया, जयप्रकाश भारतीय राजनीति के स्तंभ हैं जो समाजवाद की अलख जगाते हैं, इसमें मुश्ताक अंसारी, मनोज यादव, डा. योगेश यादव, हाजी रियाज अंसारी, रामसुमेर, बदरू जमा आदि थे। अध्यक्षता श्रीकांत सिंह व संचालन बालेश्वर विक्रम ने किया।


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