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लॉकडाउन के अवधि की देनी ही होगी फीस

जासं गाजीपुर निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को लॉकडाउन की अवधि की भी देनी ही होगी। हाइकोर्ट ने भी प्राइवेट स्कूलों द्वारा कोरोना काल में फीस नहीं लेने की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट द्वारा साफ शब्दों में कहा गया कि यह सही नहीं है लॉकडाउन की अवधि में भी स्कूलों द्वारा छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा दी गई। प्रतिदिन छात्रों को होमवर्क भी दिया जाता था और उसकी चेकिग भी होती थी। कोर्ट द्वारा एक-एक पहलुओं को देखने के बाद कहा गया है कि यह सही नहीं है और याचिका को खारिज कर दिया। वहीं शासन द्वारा शासनादेश यथावत है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 09:36 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 09:36 PM (IST)
लॉकडाउन के अवधि की देनी ही होगी फीस
लॉकडाउन के अवधि की देनी ही होगी फीस

जासं, गाजीपुर : निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को लॉकडाउन की अवधि की भी फीस देनी होगी। चूंकि लॉकडाउन के समय स्कूलों द्वारा छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा दी गई। प्रतिदिन उनको होमवर्क भी दिया जाता था और उसकी चेकिग भी होती थी। यानी शिक्षक पूरा काम करते थे। हाइकोर्ट के इस निर्णय के बाद स्थिति अब साफ हो गई है।

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कोरोना काल में छात्रों के अभिभावकों एवं उनके परिजनों के कारोबार एवं रोजगार प्रभावित हुए थे। इसके तहत शासनादेश जारी किया गया था कि फीस एडवांस न लेकर माहवार लिया जाए, फीस में वृद्धि न किया जाए, अगर वृद्धि की गई है तो उसे अगले महीने में समायोजित कर लिया जाए, वाहन शुल्क न लिया जाए, अगर कोई फीस नहीं दे पाता है तो उसका नाम न काटा जाए आदि थे। इसी के तहत जिलाधिकारी ने भी निर्देश जारी किया था। इस आदेश का अगर कोई पालन नहीं करेगा तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। हाल ही में कोर्ट ने साफ किया कि शासनादेश सही है। शुल्क माफ नहीं किया जा सकता है। यह शासनादेश यथावत है इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। ---

यह चाहते थे अभिभावक

-चूंकि कोरोना काल में स्कूलों में अवकाश था, लिहाजा अभिभावक चाहते थे कि उन्हें फीस न देनी पड़े। उनका तर्क भी था कि जब पढ़ाई हुई ही नहीं तो फीस किस बात का। आनलाइन पढ़ाई की बाबत ज्यादातर अभिभावकों का कहना था कि इसे फीस का आधार नहीं बनाया जा सकता। दोनों तरह की क्लास का कोई तुलना नहीं है। ---

यह कहना था स्कूल संचालकों का

-स्कूल संचालक शुरू से ही फीस लेने की बात कह रहे थे। उनका तर्क था कि इस संकट काल में भी हम अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही से नहीं हटे। आनलाइन पढ़ाई और उनका मूल्यांकन और कठिन काम है, लिहाजा फीस तो देनी ही पड़ेगी। विदित हो कि अधिकतर स्कूलों ने आनलाइन पढ़ाई के माध्यम से बच्चों का कोर्स पूरा करा रहे थे। --- - शासनादेश में यह कहीं नहीं था कि फीस न लिया जाए। यह जरूर था कि वाहन शुल्क नहीं लगेगा। किसी तरह की फीस वृद्धि नहीं होगी। फीस के लिए किसी का नाम नहीं काटा जाएगा।

- डा. ओमप्रकाश राय, जिला विद्यालय निरीक्षक।


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