Move to Jagran APP

किसानों को समृद्ध करेगा मशरूम का उत्पादन

जासं गाजीपुर मशरूम की खेती कर किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकते हैं। मांग की अपेक्षा इसका उत्पादन बहुत कम होता है। भोजन में मशरूम को शामिल करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह कहना है कृषि विज्ञान केंद्र पीजी कालेज के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डा. ओमकार सिंह का। कोरोना महामारी के बीच में आत्मनिर्भर बनने का सुझाव देते हुए उन्होंने बताया कि शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए खाद पदार्थों की आवश्यकता होती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 03:59 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 03:59 PM (IST)
किसानों को समृद्ध करेगा मशरूम का उत्पादन
किसानों को समृद्ध करेगा मशरूम का उत्पादन

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : मशरूम की खेती कर किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकते हैं। मांग की अपेक्षा इसका उत्पादन बहुत कम होता है। भोजन में मशरूम को शामिल करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह कहना है कृषि विज्ञान केंद्र पीजी कालेज के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डा. ओमकार सिंह का।

loksabha election banner

कोरोना महामारी के बीच में आत्मनिर्भर बनने का सुझाव देते हुए उन्होंने बताया कि शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए खाद पदार्थों की आवश्यकता होती है। इसमें से बहुत से ऐसे खाद्य पदार्थ होते हैं जिससे इम्यूनिटीबढ़ती है। मशरूम भी उनमें से एक है। कोरोना की इस वैश्विक महामारी में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए मशरूम एक बहुत ही बेहतरीन विकल्प के रूप में उभरा है। यह एक शाकाहारी आहार है जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज लवण, एण्टिऑक्सीडेन्ट आदि प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। रिसर्च से यह भी पता चला है कि विटामिन डी वायरल संक्रमण व अन्य स्वास्थ्य संबंधी संक्रमण को रोकने में लाभदायक साबित होता है। मशरूम का इस्तेमाल ऐसे ही वायरल संक्रमण जैसे कि करोना वायरस (कोविड-19) के इलाज के लिए एक अहम भूमिका निभा सकता है। मशरूम की पहुंच छोटे से गांव की रसोई से लेकर फाइव स्टार होटल के मीनू तक बन गई है, लेकिन जितनी मशरूम की मांग है, उस अनुपात में उत्पादन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में मशरूम उत्पादन कर किसान अपने स्वरोजगार को बढ़ाने के साथ बेहतर कमाई भी कर सकते हैं। इसकी खेती के लिए मशरूम बीज, कम्पोस्ट व अन्य जरूरी सामान के लिए कम से कम 15 से 20 हजार रुपये की जरूरत होती है। भारत में मुख्यत: तीन तरह के मशरूम का उत्पादन होता है, बटन मशरूम, ढिगरी और दुधिया मशरूम। दुधिया मशरूम का उत्पादन जून, जुलाई तक चलता है। ढिगरी मशरूम सितंबर महीने से 15 नवंबर तक लगाया जा सकता है। इसके बाद बटन मशरूम का उत्पादन किया जाता है, जो कि फरवरी-मार्च माह तक चलता है। मशरूम की बोआई से लेकर तोड़ाई तक लगभग दो से तीन महीने तक लग जाता है, इस तरह से किसान आत्मनिर्भर बन अपनी आय को दोगुनी ही नहीं बल्कि चार गुनी तक कर सकता है तथा कोविड-19 जैसी भयानक महामारी जैसी बिमारियों से लड़ने के लिए शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.