समान कार्य का मिले समान वेतन
जासं, गाजीपुर : प्रदेश सरकार के आम बजट में अपनी उपेक्षा किए जाने से वित्तविहीन शिक्षक काफी मर्माहत ह
जासं, गाजीपुर : प्रदेश सरकार के आम बजट में अपनी उपेक्षा किए जाने से वित्तविहीन शिक्षक काफी मर्माहत हैं। इस संबंध में माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को जिलाधिकारी से मिला और उन्हें सरकार को संबोधित पत्रक सौंपा। मांग किया कि वित्तविहीन शिक्षकों को फिर से मानदेय देने का कार्य शुरू किया जाए।
इससे पहले सभी शिक्षक सरजू पांडेय पार्क में एकत्र हुए। प्रदेश संगठन मंत्री दिनेश राम ने बताया कि 14 अक्टूबर 1986 के बाद हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट तक मान्यता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक आज रोजी-रोटी को मोहताज हैं। उनकी संख्या पूरे प्रदेश में लगभग साढ़े तीन लाख है। शिक्षक वर्तमान सरकार के बजट-2020 से काफी आशांवित थे लेकिन उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं किया गया। पूरे प्रदेश में शिक्षक सरकार की नीतियों से परेशान हैं। महासभा के जिलाध्यक्ष रामजन्म सिंह यादव ने कहा कि प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा में वित्तविहीन शिक्षकों का काफी योगदान है। इसके बाद भी सरकारें हम लोगों की ओर ध्यान नहीं दे रही हैं, यह कहीं से भी उचित नहीं है। इससे सरकार अपना विश्वास खो रही है जो माध्यमिक शिक्षा के लिए घातक सिद्ध होगा। प्रदेश महासचिव कृष्णमोहन यादव ने बताया कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माता होता है। शिक्षा में अहम योगदान देने के बाद भी आज प्रदेश के 87 फीसद शिक्षकों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। चेतावनी दी कि अगर समय रहते सरकार वित्तविहीन शिक्षकों के बारे में कोई ठोस निर्णय नहीं लेती है तो वह सरकारी काम में असहयोग करना शुरू कर देंगे। उन्होंने मांग किया कि वित्तविहीन शिक्षकों को एक कुशल श्रमिक के बराबर 25 हजार रुपये मासिक मानेदय दिया जाए। धारा-7 (क) जैसी मान्यता की धारा को समाप्त करते हुए उसके तहत जारी सभी मान्यताओं को धारा-7 (4) में संशोधित करते हुए समान काम का समान वेतन देने की व्यवस्था करने की मांग की। इसमें तारकेश्वर पांडेय, विनय कुमार बिद, सुनील सिंह, मुन्ना यादव, महेंद्र सिंह यादव, संतोष यादव, विजय कुशवाहा, राजेश सिंह, पारस यादव, दिनेश राम, रामप्रकाश यादव, हरिहर यादव, अच्छेलाल बिद, संजय यादव व नीतिश कुमार आदि थे।