धनाभाव में शुरू नहीं हो सकी पेयजल आपूर्ति
यूपी-बिहार सीमा पर स्थित सेवराई तहसील के बारा गांव में 15 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार पानी टंकी कई माह से महज शोपीस बनी हुई है। बजट के अभाव में अधूरा कार्य पूरा नहीं हो सका। इसके चलते ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल सका। नीर निर्मल योजना के तहत बारा गांव में वर्ष 2018 में जल निगम की ओर से पेयजल आपूर्ति के लिए टंकी का निर्माण शुरू हुआ था।
जागरण संवाददाता, भदौरा (गाजीपुर) : यूपी-बिहार सीमा पर स्थित सेवराई तहसील के बारा गांव में 15 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार पानी टंकी कई माह से महज शोपीस बनी हुई है। बजट के अभाव में अधूरा कार्य पूरा नहीं हो सका। इसके चलते ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल सका। नीर निर्मल योजना के तहत बारा गांव में वर्ष 2018 में जल निगम की ओर से पेयजल आपूर्ति के लिए टंकी का निर्माण शुरू हुआ था। पूरे गांव में पाइप लाइन भी बिछा दी गई, लेकिन पेयजल सप्लाई की तिथि लगातार बढ़ाई जाती रही है। पहले दिसंबर 2019 के अंत तक। इसके बाद संभावना थी कि यह परियोजना नवंबर 2020 तक पूरी हो सकेगी, लेकिन यह सपना पूरा नहीं हो सका।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अतिरिक्त काम बढ़ने के कारण अब शासन से स्वीकृति मिलने के बाद ही शेष कार्य पूरा हो पाएगा। सर्वे के दौरान गांव के अंदर ही भूमि मिली थी, लेकिन वह कम पड़ गई। इसलिए गांव के बाहर टंकी का निर्माण कराया गया। इससे छह किलोमीटर अतिरिक्त पाइप लाइन का काम बढ़ गया। शासन की ओर से रिवाइज स्टीमेट मांगा गया था। विभाग ने स्टीमेट बनाकर शासन को भेज दिया है। अब शासन से स्वीकृति मिलने के बाद काम शुरू किया जाएगा और यह परियोजना पूरी हो सकेगी। 4,500 लोगों को दिया जाना है कनेक्शन
बारा गांव में टंकी व सात उच्च प्रवाही ट्यूबवेल लगाए गए हैं। पेयजल टंकी में 2,100 लीटर जल संग्रह करने की क्षमता है। 4,500 लोगों को कनेक्शन देकर शुद्ध पेयजल पहुंचाया जाना है। यह कार्य गोरखपुर की विध्यवासिनी कंट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। इन्होंने कहा.. नीर निर्मल योजना का 95 फीसदी काम पूरा हो गया है। छह किलोमीटर पाइप लाइन बिछाना व तीन ट्यूबवेलों में मोटर व कनेक्शन देने का काम शेष है। अतिरिक्त काम बढ़ने के कारण रिवाइज स्टीमेट भेज दिया गया है। शासन से स्वीकृति मिलते ही काम को पूरा कराकर पेयजल आपूर्ति प्रारंभ करा दी जाएगी।
- दिवाकर विक्रम सिंह, जेई, जल निगम।