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सपने को अंतरराष्ट्रीय कोच बनकर किया पूरा

गाजीपुर हौसलों में अगर दम हो तो कामयाबी कदम चूमेगी। जी हां कुछ ऐसा ही हौसला सदर ब्लाक के कदियापुर निवासी आर्मी के जवान मोहनलाल यादव के पास है। इनका सपना अंतरराष्ट्रीय पहलवान बनकर देश का नाम कुश्ती के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय फलक पर रोशन करने का लेकिन पर्याप्त संसाधन नहीं मिलने से उनका यह सपना अधूरा रह गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 10:08 PM (IST)Updated: Wed, 14 Aug 2019 06:26 AM (IST)
सपने को अंतरराष्ट्रीय कोच बनकर किया पूरा
सपने को अंतरराष्ट्रीय कोच बनकर किया पूरा

अविनाश सिंह

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जासं, गाजीपुर : हौसलों में अगर दम हो तो कामयाबी कदम चूमेगी। जी हां, कुछ ऐसा ही हौसला सदर ब्लाक के कदियापुर निवासी आर्मी के जवान मोहनलाल यादव के पास है। इनका सपना अंतरराष्ट्रीय पहलवान बनकर देश का नाम कुश्ती के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय फलक पर रोशन करने का लेकिन पर्याप्त संसाधन नहीं मिलने से उनका यह सपना अधूरा रह गया। वर्ष 2006 में रेलसिग कोटे से आर्मी के आरटिनरी रेजिमेंट में भर्ती हुए। इसके बाद भी अपना अभ्यास जारीरखा। अपने कठिन परिश्रम और जज्बे के दम पर ही पिछले जून माह रेसलिग के अंतरराष्ट्रीय कुश्ती कोच बनाए गए। मोहन लाल अपने अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के सपने को अंतरराष्ट्रीय कोच बनकर पूरा किया। अब तक वह विश्व स्तर परकुल 13 मेडल देश को दिला चुके हैं। कदियापुर निवासी रामनाथ सिंह यादव के पुत्र मोहनलाल यादव का बचपन से ही कुश्ती के प्रति काफी लगाव था। वह अंधऊ स्थित अखाड़े पर प्रतिदिन अभ्यास करते रहे। बड़े पिता बासुदेव भी पहलवान थे। बचपन में इन्हीं से मोहन को प्रेरणा मिली और अपने कठिन परिश्रम के दम पर राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बने। राष्ट्रीय स्तर पर मोहन करीब 15 मेडल जीते हैं। उनका सपना था कि वह अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और कुश्ती के क्षेत्र में अपने देश व जिले का नाम रोशन करें। उनका यह सपना संसाधन नहीं होने के कारण अधूरा रह गया। बावजूद इसके उन्होंने अपना प्रयास जारी रखा। रेसलिग के दम पर ही वर्ष 2006 में वह आरटिनरी रेजिमेंट में भर्ती हुए। यहां भी आर्मी के लिए भी करीब सात वर्ष तक कुश्ती लड़ते रहे और कई मेडल जीते। इनके जज्बे को देखते हुए वर्ष 2016 में राष्ट्रीय कोच बनाया गया। गाजीपुर में एकेडमी के लिए रक्षामंत्री से किए मुलाकात

-मोहनलाल को अपनी मिट्टी से काफी लगाव है। उनकी तमन्ना है कि कुश्ती के प्रति जिले के युवाओं का रुझान बढ़े। उनका मानना है कि संसाधन और सुविधा के अभाव में जिले के पहलवान मिट्टी से शुरू होकर मिट्टी में ही रह जाते हैं। यहां भी हरियाणा की तरह विशेष सुविधाओं का एकेडमी बने। बताया कि इसके लिए मैंने अभी चार दिन पूर्व ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी। उन्हें अपने जिले की प्रतिभा बताते हुए एकेडमी खोले जाने की बात कही। इससे पहले मोहनलाल पूर्व खेलमंत्री राज्यवर्धन राठौर से भी एकेडमी खोलने की बात कही थी। बताया कि रक्षामंत्री ने उचित आश्वासन दिया है।


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