जाति प्रथा के घोर विरोधी थे डा. लोहिया
जासं गाजीपुर समाजवादी पार्टी की ओर से समाजवादी पुरोधा चितक एवं विचारक डा. राममनोहर लोहिया की जयंती एवं शहीदे आजम भगत सिंह की शहादत दिवस पर सोमवार को समता भवन पर विचार गोष्ठी हुई। उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। साथ ही उनके बताए रास्ते पर चलकर देश की सेवा करने का संकल्प लिया गया।
जासं, गाजीपुर : समाजवादी पार्टी की ओर से समाजवादी पुरोधा, चितक एवं विचारक डा. राममनोहर लोहिया की जयंती एवं शहीदे आजम भगत सिंह की शहादत दिवस पर सोमवार को समता भवन पर विचार गोष्ठी हुई। उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। साथ ही उनके बताए रास्ते पर चलकर देश की सेवा करने का संकल्प लिया गया।
जिलाध्यक्ष रामधारी यादव ने डा. लोहिया के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। कहा कि राजनैतिक दौर में जब साम्प्रदायिकता, जातिवाद के साथ साथ पूंजी और बल का दखल सियासत की दुनिया में बढ़ा है। डा. लोहिया देश की राजनीति में पुन: प्रासंगिक हो उठे हैं। डा. लोहिया केवल एक गंभीर चितक ही नहीं बल्कि सच्चे कर्मवीर थे। डा. लोहिया ही थे जो राजनीति में शुचिता और शुद्ध आचरण की वकालत करते थे। वह ऐसे नेता थे जिन्होंने आंदोलनकारियों पर गोली चलाने पर अपनी ही केरल सरकार के खिलाफ त्यागपत्र की मांग की थी। वह स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता थे। अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी प्रमुख भूमिका थी। पूर्व सांसद जगदीश कुशवाहा ने कहा कि डा. लोहिया जाति प्रथा के घोर विरोधी थे। उन्होंने ही जाति तोड़ो समाज जोड़ो का नारा दिया था। वह ऐसा समाज बनाना चाहते थे जिसमें सबको आर्थिक और सामाजिक रूप से समान अधिकार प्राप्त हो। राजेश कुशवाहा, निजामुद्दीन खां, सदानंद यादव, अरुण कुमार श्रीवास्तव, सच्चेलाल यादव, परशुराम बिद, दिनेश यादव, राजेश यादव, रामाशीष यादव, अभिनव सिंह आदि थे। संचालन कन्हैयालाल विश्वकर्मा ने किया।