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दलहन, तिलहन व आलू बोने से पहले करें बीज शोधन

गाजीपुर दलहन तेलहन व आलू बोने का समय आ गया है। अच्छी पैदावार के लिए बीज बोने से दो पहले बीज सोधन अवश्य करें। इसके दो दिन बाद खरपतवार नियंत्रण करें और उर्वरक सोधन भी करें।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 10:16 PM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 10:16 PM (IST)
दलहन, तिलहन व आलू बोने से पहले करें बीज शोधन
दलहन, तिलहन व आलू बोने से पहले करें बीज शोधन

जासं, गाजीपुर : दलहन, तिलहन व आलू बोने का समय आ गया है। अच्छी पैदावार के लिए बोने से दो पहले बीज शोधन अवश्य करें। इसके दो दिन बाद खरपतवार नियंत्रण करें और उर्वरक शोधन भी करें। ध्यान रहे बहुत ज्यादा खाद डालने से पैदावार अच्छी नहीं होती है, इसका उल्टा प्रभाव पड़ता है। वहीं बीज हमेशा अच्छी प्रजाति का ही लें। यह जानकारी कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डा. शिवकुमार सिंह ने दी। वह रविवार को 'दैनिक जागरण' के प्रश्न पहर कार्यक्रम में पाठकों के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस दौरान अच्छी पैदावार सहित बीज, खरपतवार और उर्वरक शोधन से संबंधित सवाल अधिक आए।

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कुछ इस तरह के आए सवाल :

सवाल : सरसों की खेती करना चाहता हूं। अच्छा उत्पादन कैसे होगा?

जवाब : सरसों को एनडीआर 8501, कुसा बोल्ड जैसे अच्छे प्रजाति का बीज लें। बोने से पहले उसका बीज शोधन भी कर लें।

सवाल : मसूर की खेती में उखठा रोग लग जाता है। खेत में अभी पानी लगा हुआ है, क्या किया जाए कि पैदावार पर इसका असर न पड़े?

जवाब : 25 नवंबर तक इसकी बोआई कर सकते हैं। उखठा से बचने के लिए ट्राइकोडरमा से बीज शोधन अवश्य करें। बोआई छिटकवा विधि से नहीं बल्कि सीड ड्रिल से करें। खेत में हर बार बदल कर फसल बोएं। मिट्टी शोधन करना भी आवश्यक है।

सवाल : मेरे अड़उल के पेड़ में कली लगती है, लेकिन उसे कीड़ा खा जाते हैं, क्या करें?

जवाब : टहनी, पत्ती और कली पर सफेद रंग के कीड़े होंगे। 2 से 2.5 एमएल क्लोरपैरोफास दवा एक लीटर पानी में घोल कर पेड़ पर स्प्रे कर दें। आठ से 10 दिनों में दो बार करें।

सवाल : आलू कैसे बोएं, की उत्पादन अच्छा हो?

जवाब : एक बीघा खेत में 40 से 50 केजी डीएपी, 40-40 केजी पोटास और यूरिया डाले। आलू की बोआई के लिए यह समय बहुत ही अच्छा है। खरपतवार शोधन भी करना चाहिए।

सवाल : धान की फसल में लेड़ा रोग लग गया है। कैसे सही होगा?

जवाब : एक बीघा में 1.5 से दो एमएल प्रोपीकोनाजोल दवा एक लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।

सवाल : पांच बिस्वा में पपीता की खेती करना चाहता हूं। क्या समय है और इसकी नर्सरी कैसे पड़ेगी?

जवाब : समय है, जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क कर लें। वहां से अच्छे प्रजाति का बीज मिल जाएगा। पपीता की खेती बहुत ही फायदेमंद है। बीज अच्छे प्रजाति का होना चाहिए।

सवाल : अच्छे प्रजाति के तिलहन का बीज कहां मिलेगा ताकि पैदावार अच्छा हो सके?

जवाब : जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क करें। वहां अच्छे प्रजाति का बीज मिल जाएगा। सरसों के बीज के एनडीआर 8501, कुसा बोल्ड आदि कई प्रजातियां हैं। आपको कृषि विज्ञान केंद्र आना होगा।

सवाल : सरसों की खेती कब तक की जा सकती है?

जवाब : अगर किसान अच्छा उत्पादन चाहता है तो हर हाल में उसे 20 से 25 अक्टूबर तक कर देनी चाहिए। सरसों की बोआई सीड ड्रील से करना बेहतर होगा।

सवाल : सरसों की कौन सी प्रजाति बेहतर होगी?

जवाब : सरसों प्रजाति कुसा बोल्ड, एनडीआर-8501 आदि काफी बेहतर होगी। किसान बेहतर उत्पादन के लिए 60 से 65 सुपर फास्फेट, 30 किलो यूरिया एवं 12 से 15 किलो पोटाश उर्वरक का उपयोग कर सकते हैं।

सवाल : एक एकड़ में सरसों व चना का कितना बीज का इस्तेमाल होगा?

जवाब : प्रति एकड़ सरसों का दो किलोग्राम बीज इस्तेमाल बेहतर होगा।

सवाल : मटर की कौन सी प्रजाति बेहतर होगी?

जवाब : काशी नंदनी प्रजाति काफी बेहतर होगी। इसके अलावा अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र पर आकर मिल सकते हैं।

सवाल : धान का पौध पीला हो गया है। उपचार बताएं ?

जवाब : पौधा लेकर कृषि विज्ञान केंद्र पर आ जाएं, देखकर रोग की जानकारी करनी होगी।

इन्होंने किए सवाल

: मुनीबराम आनंद-मलसा, रमाशंकर राय-लौवाडीह, प्रदीप कुमार जायसवाल-गौसपुर बुजुर्गा, सुमीत कुमार-देवकली, प्रवीण मौर्य-जलालाबाद, इंद्रमणी सिंह कुशवाहा-जलालाबाद, मयंक सिंह-सिगारपुर, अभोरिक यादव-देवकठियां, शोभनाथ यादव-हिमरदोपुर, डा. रमाकांत यादव-करमचंदपुर, शंभुनाथ राय-रेवतीपुर, एनडी तिवारी-सादात, उयनाथ सिंह-देवकली।

------ बीज शोधन : टाइकोडरमा एक सूक्ष्म जीव होता है। बीज पर हल्का पानी डालें और उसे फैलाकर टाइकोडरमा को हाथ से मिला लें। ध्यान रहे बोने से दो दिन पहले यह करना है। खरपतवार नियंत्रण : पैदावार बढ़ाने के लिए खरपतवार नियंत्रण बहुत ही आवश्यक है। दलहन फसल बोने के 48 घंटे के अंदर 800 एमएल पेंडीमेथीलिन दवा दो सौ लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें। स्प्रे करते समय आगे नहीं बल्कि पीछे चलना है। जहां स्प्रे हो गया है वहां पैर ना पड़े।


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