दिव्यांगता को मात, जितेंद्र देने लगे स्वावलंबन की सौगात
गाजीपुर : असल ¨जदगी के कुछ ऐसे हीरो भी हमारे बीच हैं जो दिव्यांग होने के बाद भी बिना थके व हारे ऐसे उदाहरण पेश किए जो सामान्य इंसान के लिए भी नामुमकिन सा है।
अविनाश ¨सह
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जासं, गाजीपुर : असल ¨जदगी के कुछ ऐसे हीरो भी हमारे बीच हैं जो दिव्यांग होने के बाद भी बिना थके व हारे ऐसे उदाहरण पेश कर रहे हैं, जो सामान्य इंसान के लिए भी प्रेरक बने हुए हैं। सदर ब्लाक के बारिखपुर निवासी जितेंद्र दिव्यांग की भी कुछ ऐसी ही कहानी है। यह उन दिव्यांगों के लिए आदर्श हैं, जो ¨जदगी अपनी तरह से जीना चाहते हैं। सम्पूर्ण विकास दिव्यांग सेवा ट्रस्ट से अब तक वह करीब 500 दिव्यांगों को स्वावलंबी बना चुके हैं। जितेंद्र की प्रतिभा को देखते हुए बीते 13 जनवरी को सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में राष्ट्रीय विलक्षण प्रतिभा रत्न से सम्मानित किया। इस पुरस्कार के लिए पूरे प्रदेश में सिर्फ जितेंद्र दिव्यांग का ही चयन हुआ था।
जितेंद्र दिव्यांग काफी गरीब परिवार से मिलान करते हैं। परिवार की आजीविका चलाने के लिए टेंट हाउस में काम करते थे। इसी दौरान जितेंद्र के लिए एक मनहूस दिन आया वह था 28 अप्रैल वर्ष 2004। टेंट हाउस का काम करते समय इन्हें 11 हजार बोल्ट का झटका लग गया। एक वर्ष तक इलाज कराए, लेकिन सही नहीं हुआ और अपना दोनों हाथ गंवा दिए। कुछ समय तक विचलित हुए, लेकिन हौसला नहीं टूटा। उन्होंने दोगुनी ऊर्जा से ¨जदगी की शुरूआत की। वर्ष 2007 में हाईस्कूल व 2009 में इंटर पास कर बीएचयू से ग्रेजुएशन किए। डीसीए, पीजीडीसीए, हिन्दी टंकण में टाप किया। काफी दिनों तक नौकरी के चक्कर में भटकते रहे। इसी दौरान उन्हें कुछ ऐसा देखने को मिला कि उन्होंने अपना रास्ता ही बदल दिया। भोजपुरी की एक कहाबत जेकर बेवाय न फाटे उ पीर पराय का जाने'जिसके ऊपर जो कष्ट है वही उसे महसूस कर सकता है। उन्होंने ठान लिया अब वह दिव्यांगों की सेवा करेंगे। सम्पूर्ण विकास दिव्यांग सेवा नाम से ट्रस्ट खोला। इससे जिले के करीब सात हजार दिव्यांग जुड़ चुके हैं। जितेंद्र 60 फीसद से अधिक दिव्यांगों को स्वावलंबी बनाने के लिए कंप्यूटर, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई आदि का प्रशिक्षण देते हैं। यहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर अब तक करीब 500 दिव्यांग रोजगार कर रहे हैं। इतना ही नहीं जितेंद्र समय-समय पर दिव्यांगों को कंबल, सिलाई मशीन आदि भी देते रहते हैं। झांसी में आयोजित साइकिल रे¨सग में भी भाग लिया, जिसमें दूसरा स्थान प्राप्त किया। 20 से अधिक दिव्यांग महिलाएं सिलाई सेंटर खोलकर न सिर्फ अपना बल्कि परिवार का भी भरण पोषण कर रही हैं। अब तक दिव्यांगों के लिए 30 से अधिक सहज जनसेवा केंद्र, 10 से अधिक कंप्यूटर टाइ¨पग, 20 से ऊपर जूस की दुकान खोलवा चुके हैं। गाजीपुर ही नहीं बल्कि मऊ, आजमगढ़, उन्नाव, इटावा, औराई, बलिया सहित 12 जिलों में वह अपना काम कर रहे हैं। जितेंद्र के हौसले और जज्बे का ही परिणाम है कि राष्ट्रीय विलक्षण प्रतिभा रत्न के लिए पूरे प्रदेश में इन्हीं का चयन हुआ।