जर्जर एंबुलेंस बने जियो टैगिग की निगरानी में रोड़ा
जासं गाजीपुर एंबुलेंस सेवा को बेहतर बनाने व समय से मरीजों तक पहुंचाने के तमाम उपाय जर्जर एंबुलेंसों के सामने आकर बौना साबित हो जाते हैं। एक तरफ जहां सरकार इनके लोकेशन पर नजर रखने के लिए जीपीएस व जियो टैगिग से निगरानी कर सुधार का दावा कर रही है। वहीं वर्षों से क्षतिग्रस्त अवस्था में फर्राटा भर रहे एंबुलेंसों को बदलने के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठाया जा रहा है। ऐसे में मरीजों को निर्धारित समय के अंदर उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाना एक सपने जैसा लगता है।
जासं, गाजीपुर : एंबुलेंस सेवा को बेहतर बनाने व समय से मरीजों तक पहुंचाने के तमाम उपाय जर्जर एंबुलेंसों के सामने आकर बौना साबित हो जाते हैं। एक तरफ जहां सरकार इनके लोकेशन पर नजर रखने के लिए जीपीएस व जियो टैगिग से निगरानी कर सुधार का दावा कर रही है। वहीं वर्षों से क्षतिग्रस्त अवस्था में फर्राटा भर रहे एंबुलेंसों को बदलने के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठाया जा रहा है। ऐसे में मरीजों को निर्धारित समय के अंदर उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाना एक सपने जैसा लगता है।
जनपद में 108 के 37 व 102 के 42 एंबुलेंसों द्वारा विभिन्न ब्लाकों में स्थापित सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ जिला व महिला अस्पताल तक मरीजों का लाने व पहुंचाने का कार्य किया जाता है। इसमें 15 एंबुलेंस जो काफी जर्जर व क्षतिग्रस्त होने के चलते चालकों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इन वाहनों को बदलने को लेकर कई बार स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों व प्रभारी द्वारा पत्र शासन को भेजा गया, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। इन एंबुलेंसों को बदलने के बजाए निगरानी व बेहतर बनाने का दावा किया जा रहा है। ऐसे में जर्जर वाहनों से मरीजों को उपचार के लिए सरकारी अस्पताल तक समय के अंदर पहुंचाना कैसे संभव हो पाएगा। --------
जिले में 15 एंबुलेंस जर्जर व क्षतिग्रस्त अवस्था में है। इनको बदलवाने का प्रयास किया जा रहा है। सुविधा बेहतर करने के लिए एक सप्ताह के अंदर जर्जर एंबुलेंस बदलने की कवायद शासन स्तर से शुरू हो चुकी है।
- रवि कुमार, जिला एंबुलेंस प्रभारी।