माता-पिता का ही मोबाइल फोन इस्तेमाल करें बच्चे
जिस तरह मोबाइल के अनेक फायदे हैं उसी तरह इसके असीमित व अनियंत्रित प्रयोग के भयावह नुकसान भी है। वर्तमान में माता-पिता दोनों की अति व्यस्तता बच्चों में मोबाइल की लत विकसित कर रही है। न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य व समय को चोपट कर रही है वरन उनके बाल मस्तिष्क को विकृत कर रही है। इंटरनेट के द्वारा मोबाइल पर अश्लील वीडियोज आसानी से उपलब्ध है जो किशोरों को समय से पूर्व प्रतिबंधित ²श्य दिखाकर पथभ्रष्ट करने के लिए पर्याप्त है। अखबारों में नित्य ऐसी घटनाएं पढ़ने को मिलती हैं जो अविश्वसनीय लगती हैं। बाल अपराधों में आश्चर्यजनक रूप में वृद्धि हुई है।
जिस तरह मोबाइल फोन के अनेक फायदे हैं उसी तरह इसके असीमित व अनियंत्रित प्रयोग के भयावह नुकसान भी है। वर्तमान में माता-पिता दोनों की अति व्यस्तता बच्चों में मोबाइल की लत विकसित कर रही है। न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य व समय को चौपट कर रही है वरन उनके बाल मस्तिष्क को विकृत कर रही है। इंटरनेट के द्वारा मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियोज आसानी से उपलब्ध है जो किशोरों को समय से पूर्व प्रतिबंधित दृश्य दिखाकर पथभ्रष्ट करने के लिए पर्याप्त है। अखबारों में नित्य ऐसी घटनाएं पढ़ने को मिलती हैं जो अविश्वसनीय लगती हैं। बाल अपराधों में आश्चर्यजनक रूप में वृद्धि हुई है। ऐसे दृश्य तेजी से मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। अवचेतन मन पर अंकित होकर बच्चों को अपराध करने की दुष्प्रेरणा देते हैं। विद्यार्थी विभिन्न प्रकार के खेल और व्यायाम को भूलते जा रहे हैं। इससे शारीरिक स्वास्थ्य का स्तर गिरता जा रहा है और नवीन बीमारियां जन्म ले रहीं हैं। मोबाइल फोन ने बच्चों में एकाकी प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है। सामाजिक संबंध पहले की तरह मधुर नहीं रहे। अपनी उम्र गलत बताकर फेसबुक पर अकाउंट बनाना विद्यार्थियों के लिए आम बात है। वे वहां पर दोस्ती के नये मायने सीख रहे हैं, जो हमारी संस्कृति के दृष्टिकोण से कतई उचित नहीं है। सेल्फी और आपत्तिजनक तस्वीरों के दुरुपयोग को रोकने के लिए कालेज परिसर में पूर्णतया मोबाइल फोन प्रतिबंधित है। मोबाइल फोन की आवश्यकता इंटर या बीए के छात्रों को नहीं है। उन्हें अपने अभिभावकों के फोन का इस्तेमाल करना चाहिए। छात्रों द्वारा अधिक मोबाइल फोन इस्तेमाल करने से उनकी स्मरण शक्ति कम होने लगती है और अधिक देर तक मोबाइल फोन पर बात करने से चिड़चिड़ापन भी होने लगता है। हालांकि यह विद्यार्थियों के लिए कहीं-कहीं जरूरी भी है, बर्शते वह इसका गलत इस्तेमाल न करें।
- डा. वंशीधर यादव, प्राचार्य- रामकरन डिग्री कालेज इशोपुर।