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पगडंडी के सहारे शिक्षा के मंदिर तक पहुंचते हैं बच्चे

सरकार एक तरह जहां प्राथमिक व परिषदीय विद्यालयों की हालात सुधारने के लिए नित्य नए-नए योजनाओं का संचालन करने के साथ छात्र-छात्राओं को सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है वहीं जनपद में अभी भी कई विद्यालय ऐसे हैं जहां पहुंचने का रास्ता तक नहीं है। बतौर बानगी जयंतीदासपुर गांव में वर्षों से स्थापित विद्यालय को लिया जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 04:39 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 04:39 PM (IST)
पगडंडी के सहारे शिक्षा के मंदिर तक पहुंचते हैं बच्चे
पगडंडी के सहारे शिक्षा के मंदिर तक पहुंचते हैं बच्चे

जासं, जंगीपुर (गाजीपुर) : सरकार एक तरह जहां परिषदीय विद्यालयों की हालात सुधारने के लिए नित्य नई-नई योजनाओं का संचालन करने के साथ छात्र-छात्राओं को सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है वहीं जनपद में अभी भी कई विद्यालय ऐसे हैं जहां पहुंचने का रास्ता तक नहीं है। बतौर बानगी जयंतीदासपुर गांव में वर्षों से स्थापित विद्यालय को लिया जा सकता है।

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छात्रों को इस शिक्षा के मंदिर तक पहुंचने के लिए खेत की पगडंडी का यह सहारा लेना पड़ता है। वजह आज तक वहां पहुंचने के लिए मार्ग ही नही बन सका। यही नहीं करीब 20 फीट तालाब के सकरे रास्ते से भी बच्चों को आवागमन करना पड़ता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जानकारी के बाद सक्रिय हुए बेसिक शिक्षाधिकारी मातहतों से आख्या व रिपोर्ट मंगाकर कार्रवाई का आश्वासन दे रहे हैं। वहीं जिन घरों के नौनिहाल इस विद्यालय में पढ़ाई करने जा रहे हैं, उनके परिजनों में दुर्घटना का भय बन रहता है। वर्तमान समय में इस प्राथमिक विद्यालय में 99 छात्र व छात्राओं द्वारा शिक्षा ग्रहण किया जाता है। कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई करने वाले इन छात्र-छात्राओं पर हमेशा ही खतरा बना रहता है। यहां पढ़ाने वाले अध्यापकों को इन बच्चों को स्कूल तक लाने व पहुंचाने के लिए कड़ी मशक्कत करना पड़ती है। इस तरह की स्थिति को देखते हुए ग्राम प्रधान द्वारा कई बार विभागीय अधिकारियों को सूचित किया गया। यही नहीं मार्ग के लिए चकबंदी अधिकारी के पास मुकदमा भी दायर किए, लेकिन विभागीय अधिकारी इससे पूरी तरह से अनभिज्ञता जाहिर करने में लगे रहते हैं। जबकि बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा माहवार विद्यालयों के भ्रमण की रिपोर्ट शासन को भी भेजी जाती है। इसके बाद भी स्थिति यह है कि करीब तीन वर्षों से तैनात बेसिक शिक्षाधिकारी को यह भी पता नहीं है कि किन-किन विद्यालयों में जाने के लिए रास्ता नहीं है। किसी द्वारा सूचना पर सक्रियता दिखाते हुए जल्द ही समस्या के निराकरण का बस आश्वासन भर ही देते हैं। यह तो सिर्फ बानगी मात्र है जिले के कई ऐसे विद्यालय है कहीं भवन जर्जर है, तो कहीं भवन ही नहीं है। ऐसी स्थिति में जनपद की शिक्षा व्यवस्था कितनी बेहतर हो सकती है, इसका अंदाजा लगाया ही जा सकता है।

-खंड शिक्षाधिकारी को तत्काल विद्यालय पर भेजकर जांच कराई जाएगी। इसकी रिपोर्ट मिलने के बाद तत्काल उस पर कार्रवाई होगी। विद्यालय तक मार्ग बनवाने का प्रयास भी किया जाएगा।

- श्रवण कुमार गुप्ता, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी


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