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टाप बाक्स.. कोरोना से जंग में अफीम फैक्ट्री भी संग

फोटो- 2सी। दानिश ---- जागरण संवाददाता गाजीपुर कोरोना से जंग में जिले की अफीम फैक्ट्री

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Oct 2020 04:18 PM (IST)Updated: Fri, 02 Oct 2020 04:18 PM (IST)
टाप बाक्स.. कोरोना से जंग में अफीम फैक्ट्री भी संग
टाप बाक्स.. कोरोना से जंग में अफीम फैक्ट्री भी संग

फोटो- 2सी। दानिश

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जागरण संवाददाता, गाजीपुर : कोरोना से जंग में जिले की अफीम फैक्ट्री का अहम रोल है। खासी के सिरप में काम आने वाले कोडिन फास्फेट की इस साल सात टन उत्पादन से सब कुछ समझा जा सकता है, जो पिछले साल से एक टन अधिक है। चूंकि कोरोना काल में काम प्रभावित था ऐसे में जरूरत के हिसाब से उत्पादन नहीं हो सका, नहीं तो मांग और अधिक थी। हालांकि वर्ष के अंत तक सात टन के लक्ष्य को पूरा करने की उम्मीद है। कोरोना लंग्स संक्रमण और सूखी खांसी ज्यादा प्रभाव डालती है ऐसे में सिरप ज्यादा कारगर होता है। खास बात यह कि दवा की प्रमुख कंपनियां सिप्ला, फाइजर, केडिला, रूशान आदि सीधे आर्डर दे रखी हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक एवं यूनानी दवाओं की कंपनियां भी कोडिन फास्फेट की खरीदारी करती हैं।

यूं तो अफीम फैक्ट्री में मार्फीन, कोडिन सल्फेट, डायोनीन, कोटारनीन क्लोराइड, नेस्कोफीन, पापावरीन सहित कुल 13 प्रोडक्ट बनाए जाते हैं, लेकिन कोडिन फास्फेट की मांग काफी बढ़ी है। इसका कारण कोरोना को माना जा रहा है। इसका उपयोग खांसी की सिरप में किया जाता है। कोरोना में खांसी का भी खास असर रहता है। इस काम को फैक्ट्री बखूबी कर रही है। वह रिकार्ड सात टन उत्पादन से इस जंग में साथ है।

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गत जून में राजस्थान से 14 हजार 6 सौ कंटेनर कच्ची अफीम आई है। अफीम फैक्ट्री में आने वाली कच्ची अफीम को सबसे पहले उसकी टेस्टिंग की जाती है। टेस्टिंग पूरी होने के बाद उसे प्रोसेस में लिया जाता है। कच्ची अफीम से अल्कोलायड निकाला जाता है। इससे फैक्ट्री में कोडिन फास्फेट का सबसे अधिक उत्पादन होता है। इसका इस्तेमाल खांसी की सिरप में किया जाता है। इसकी खरीदारी दवाओं की कंपनियां करती हैं। सबसे अधिक डिमांड होने के कारण इसका उत्पादन भी सबसे अधिक किया जा रहा है।

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अंग्रेजी दवाओं की कंपनी द्वारा कोडिन फास्फेट की डिमांड अधिक होने के कारण इसका उत्पादन सबसे अधिक किया जाता है। इसके अलावा आयुर्वेदिक एवं यूनानी दवाओं की कंपनियां भी कोडिन फास्फेट की खरीदारी करती हैं। करीब सात टन उत्पादन किया जा रहा है। बाकी अन्य उत्पादों का उत्पादन इसकी अपेक्षा कम होता है।

- ओमप्रकाश राय, प्रबंधक, राजकीय क्षारोद कारखाना।


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