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अक्षय नवमी परम पुण्य तिथि : भवानीनंदन यति

अक्षय नवमी के दिन आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन बनाने और भोजन करने का विशेष महत्व है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध से पहले तीन वन की परिक्रमा की थी। संतान प्राप्ति के लिए अक्षय नवमी पर पूजा अर्चना का विशेष महत्व है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 10:08 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 10:44 PM (IST)
अक्षय नवमी परम पुण्य तिथि : भवानीनंदन यति
अक्षय नवमी परम पुण्य तिथि : भवानीनंदन यति

जासं, जखनियां (गाजीपुर) : सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर आयोजित आंवला भोज-भंडारा के मौके पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सिद्धपीठ पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर भवानीनंदन यति महाराज ने कहा कि अक्षय नवमी के दिन आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन बनाने और भोजन करने का विशेष महत्व है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध से पहले तीन वन की परिक्रमा की थी। संतान प्राप्ति के लिए अक्षय नवमी पर पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। इस दिन किए गए पूजा पाठ, जप, दान द्वारा अर्जित पुण्य का कभी क्षय नहीं होता है। अक्षय नवमी पर दान व स्नान का महत्व होता है। इस दिन ब्रह्मण व गरीबों को भोजन जरूर कराएं। ऐसे करने से संपदा की कमी नहीं होती और घर में सुख शांति का वास रहता है। अक्षय नवमी पर मां लक्ष्मी ने पृथ्वी लोक पर भगवान विष्णु एवं शिवजी की पूजा आंवले के रूप में की थी। भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने के बाद आंवला वृक्ष की पूजा करें। ऐसा करने से सेहत और लाभ प्राप्त होता है। स्वामी रत्नाकर त्रिपाठी, स्वामी अभयानंद, श्रवण तिवारी, राधेश्याम जायसवाल, अमिता दुबे, लौटू प्रजापति, शैलेंद्र ¨सह, सच्चिदानंद ¨सह, अभिषेक व वंदना ¨सह थीं।

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