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गांव में छाया मातमी सन्नाटा, नहीं जले घरों के चूल्हे

जासं, भांवरकोल (गाजीपुर) : कबीरपुर कला गांव के ग्रामीण सुबह होते ही रोज की तरह घर- गृहस्थी के कार्य करने में जुट गए। जैसे ही उन्हें सड़क हादसे में दो लोगों की मौत की जानकारी मिली, वह घटना स्थल के तरफ दौड़ पड़े।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 09:29 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 09:29 PM (IST)
गांव में छाया मातमी सन्नाटा, नहीं जले घरों के चूल्हे
गांव में छाया मातमी सन्नाटा, नहीं जले घरों के चूल्हे

जासं, भांवरकोल (गाजीपुर) : कबीरपुर कला गांव के लिए सोमवार की सुबह मनहूस खबर लेकर आयी। ग्रामीण सुबह होते ही रोज की तरह घर-गृहस्थी के कार्य करने में जुटे हुए थे। जैसे ही उन्हें सड़क हादसे में दो लोगों की मौत की जानकारी मिली, घटना स्थल के तरफ दौड़ पड़े। घटना से लोग मर्माहत हो गए और पूरे गांव में में मातमी सन्नाटा फैल गया। इस दर्दनाक हादसे के बाद कई घरों के चूल्हे नहीं जले। घटनास्थल की भयावहता को देख हर कोई सिहर उठा। मृतकों के परिजनों करूण-क्रंदन से लोगों के चेहरों पर उदासी छा गई। लोगों की आंखों में पिकप चालक के खिलाफ गुस्सा साफ झलक रहा था।

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हादसे में मृत बृजकिशोर उपाध्याय एक निजी विद्यालय में काम करते थे। स्कूल जाने से पहले वह घर का सभी काम करने के साथ वृद्ध पिता छविनाथ उपाध्याय व मानसिक रूप से विक्षिप्त पत्नी संगीता के अलावा अपनी चार वर्षीय पुत्री मन्या को भोजन कराना नहीं भूलते थे। उनके मौत की जानकारी जैसे ही पिता को मिली, उनके कदम घटना स्थल के तरफ दौड़ पड़े। सड़क पर जवान पुत्र का शव देख वह बदहवास होकर वहां गिर पड़े। ग्रामीण किसी तरह उनको संभालते हुए ढांढ़स बंधा रहे थे। उनकी इस स्थिति को देख हर कोई वहां शोक में डूब जा रहा था। वहीं विक्षिप्त पत्नी दरवाजे पर आने वाले लोगों को एकटक होकर निहार रही थी, मानो किसी के करूण-क्रंदन की आवाज उनकी कानों तक नहीं पहुंच रही हो। वहीं गंभीर रूप से घायल रामेश्वर उपाध्याय उर्फ राजू के मौत की जानकारी मिलते ही पिता कृष्णानंद उपाध्याय व मां अंजू उपाध्याय के आंखों के आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। कक्षा छह में पढ़ने वाला राजू दो भाइयों में बड़ा था। उसकी मौत के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। हादसे में दो लोगों की मौत के बाद तो पूरा गांव स्तब्ध है। हर कोई पिकप चालक को कोसता नजर आया। --------

छुट्टी नहीं होती तो बच जाती जान

: ग्रामीणों में बस एक ही बात को लेकर चर्चा थी कि अगर विद्यालय में छुट्टी नहीं होती तो बृजकिशोर उपाध्याय की जान बच गई होती। जिस समय सुबह साढ़े छह बजे सड़क हादसा हुआ, उस समय वह रोज विद्यालय में रहते थे। उनकी मौत की जानकारी मिलते ही विद्यालय के लोग भी शोकाकुल हो गए। इधर रामेश्वर उपाध्याय उर्फ राजू के मौत की जानकारी मिलते ही विद्यालय में शोक सभा कर छुट्टी कर दी गई। उसके सहपाठियों चेहरे पर अपने मित्र को खोने का दर्द साफ झलक रहा था। -----------

सड़क जाम करने की तैयारी कर रहे थे ग्रामीण

: हादसे से नाराज ग्रामीण कबीरपुर कला गांव के पास एनएच-31 को जाम करने की तैयारी कर रहे थे। उसी दौरान मुहम्मदाबाद एसडीएम रमेश यादव मौके पर पहुंच गए व ग्रामीणों को समझा-बुझाना शुरू कर दिए। साथ ही मृतकों के परिजनों को मुख्यमंत्री सर्वहित बीमा योजना के अलावा आवास योजना का लाभ व मृतक बृजकिशोर की पत्नी को विधवा पेंशन दिलाने का आश्वासन भी दिए। तब जाकर ग्रामीणों का गुस्सा शांत हुआ। इसके बाद जाकर पुलिस ने राहत की सांस ली।


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