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लाठी चार्ज व फायरिग के विरोध में वकील कार्य से रहे विरत

जासं गाजीपुर दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में पुलिस द्वारा अधिकवक्ताओं पर किए गए लाठी चार्ज व फयरिग के विरोध में जनपद के अधिवक्ता सोमवार को न्यायिक कार्य से विरत रहे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 11:08 PM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2019 06:25 AM (IST)
लाठी चार्ज व फायरिग के विरोध में वकील कार्य से रहे विरत
लाठी चार्ज व फायरिग के विरोध में वकील कार्य से रहे विरत

जासं, गाजीपुर : दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में पुलिस द्वारा अधिवक्ताओं पर किए गए लाठी चार्ज व फायरिग के विरोध में जनपद के वकील सोमवार को न सिर्फ न्यायिक कार्य से विरत रहे बल्कि अपनी एकता की ताकत का सभी को एहसास कराया। जमकर नारेबाजी के साथ आवाज बुलंद की। सिविल बार एसोसिएशन व कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के बैनर तले डीएम को संबोधित पत्रक अतिरिक्त एसडीएम को सौंपा। इस मौके पर सिविल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र नाथ ने मांग करते हुए कहा कि घायल अधिवक्ताओं को 50 लाख रुपये दिल्ली व केंद्र सरकार द्वारा दिया जाए। ऐसे कृत्य की सभी ने कड़ी निदा की।

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इससे पूर्व सिविल बार सभागार में अधिवक्ताओं की बैठक हुई। इसमें बीते दो नवंबर को दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में वकीलों पर हुए लाठी चार्ज व फायरिग के विरोध में प्रस्ताव पास कर चर्चा की गई। साथ ही निर्णय लिया गया कि इसके विरोध में सभी अधिवक्ता पूरे दिन न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। इसके अलावा न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं के लिए वाहन खड़ा करने को लेकर चिन्हित स्थान उपलब्ध कराने के लिए पार्किंग की व्यवस्था व घायलों को दिल्ली व केंद्र सरकार द्वारा 50 लाख तक का मुआवजा उपलब्ध कराने की मांग की गई। इसके बाद अधिवक्ता कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे व जमकर नारेबाजी भी किए। इस दौरान चंद्रबली राय, सुरेश सिंह, बंशीधर कुशवाहा, विनोद कुमार दुबे, सुमित श्रीवास्तव, साधन चक्रवर्ती मौजूद थे। जमानियां : अधिवक्ताओं ने तहसील परिसर में दिल्ली पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने के साथ न्यायिक कार्य से विरत रहे। अध्यक्ष गोरखनाथ सिंह ने कहा की आए दिन प्रदेश में अधिवक्ताओं को गोली मारकर मौत के घाट उतारने एवं मारने पीटने सहित दु‌र्व्यवहार किया जा रहा है जो बर्दास्त योग्य नहीं है। मांग की कि दोषी पुलिस कर्मियों व संबंधित अधिकारी के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत कर गिरफ्तारी की जाए। साथ ही पीड़ित अधिवक्ताओं को मुआवजा व सुरक्षा प्रदान दिया जाय।


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