वाह रे सिस्टम! जहां जरूरत नहीं वहां बनाया जा रहा सार्वजनिक शौचालय
जागरण संवाददातामोदीनगरइसे अफसरशाही का निकम्मापन कहें या फिर सरकारी धन की बंदरबां
जागरण संवाददाता,मोदीनगर:
इसे अफसरशाही का निकम्मापन कहें या फिर सरकारी धन की बंदरबांट कि जहां 13 शौचालय पहले से बने हुए हों, वहां सार्वजनिक शौचालय बनाया जा रहा है। ग्रामीणों की तमाम शिकायतों के बावजूद किसी भी स्तर से ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया, जिससे शौचालय निर्माण रुकता या फिर ऐसी जगह बनाए जाने की कोशिश होती, जिससे उसका लोग इस्तेमाल करते और सरकार की मंशा साकार होती।
घर-घर शौचालय निर्माण के बाद अब सरकार ने एक कदम और बढ़ाते हुए प्रत्येक गांव में सार्वजनिक शौचालय बनाने की योजना बनाई है। अधिकांश गांवों में सार्वजनिक शौचालय बना भी दिए गए हैं, जिनका ग्रामीणों को भारी लाभ हो रहा है, लेकिन यहां अफसरशाही की बेपरवाही के कारण कुछ जगहों पर सरकारी धन के बंदरबांट करने की कोशिश भी हो रही है। ताजा मामला मुरादनगर ब्लॉक के गांव मोहम्मदपुर कदीम गांव में देखने को मिला।
यहां ग्राम सचिव व प्रधान की मनमानी से सरकारी स्कूल में सार्वजनिक शौचालय बनाया जा रहा है, जबकि स्कूल में केवल 20 बच्चे पढ़ते हैं। यह स्थिति तब रही जब ग्रामीणों ने इसकी कई बार ग्राम सचिव से लेकर बीडीओ, एसडीएम, नायब तहसीलदार से भी शिकायत की। अधिकारियों ने आश्वासन तो दिया, लेकिन कोई हल नहीं निकला। ग्रामीणों का कहना है कि सार्वजनिक शौचालय गांव में ऐसे स्थान पर बनाया जाना चाहिए था, जहां ग्रामीणों को उसका लाभ होता। सरकारी स्कूल में शौचालय बनने से उसका न तो बच्चों को कोई लाभ होगा और न ही ग्रामीण उसका लाभ उठा सकेंगे। इस बारे में मोहम्मपुर कदीम के ग्राम सचिव बृजेश कुमार का कहना है कि लेखपाल द्वारा ग्राम पंचायत को जहां पर शौचालय निर्माण की जगह चिह्नित करके दी गई थी। वहीं, पर शौचालय बनाया गया है। जहां तक स्कूल में सार्वजनिक शौचालय बनाये जाने की बात है तो 70 फीसद से ज्यादा गांवों में स्कूलों में ही सार्वजनिक शौचालय बनाये गए हैं। वहीं, ग्राम प्रधान ने भी ग्राम सचिव के पक्ष की पुष्टि की।