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पिता का सपना पूरा करने के लिए की मेहनत, जेईई एडवांस में रहे शीर्ष पर

जासं गाजियाबाद स्वर्ण जयंती पुरम के रहने वाले आयुष तेवतिया ने जेईई एडवांस में आल इंडिया 345वीं रैंक हासिल कर अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है। आयुष ने फिट-जी में कोचिग लेते हुए जेईई एडवांस में शानदार सफलता पाई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 10:34 PM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 10:34 PM (IST)
पिता का सपना पूरा करने के लिए की मेहनत, जेईई एडवांस में रहे शीर्ष पर
पिता का सपना पूरा करने के लिए की मेहनत, जेईई एडवांस में रहे शीर्ष पर

जासं, गाजियाबाद : स्वर्ण जयंती पुरम के रहने वाले आयुष तेवतिया ने जेईई एडवांस में आल इंडिया 345वीं रैंक हासिल कर अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है। आयुष ने फिट-जी में कोचिग लेते हुए जेईई एडवांस में शानदार सफलता पाई है। आयुष के पिता ओम प्रकाश तेवतिया दिल्ली पुलिस में सहायक उपनिरीक्षक पद पर कार्यरत हैं। ओम प्रकाश तेवतिया ने बताया कि साल 2010 में उनकी ड्यूटी दिल्ली के कामनवेल्थ गेम्स में लगी थी। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह ने कामनवेल्थ गेम्स का उद्घाटन किया था। उस समय देश भर में 10वीं और 12वीं में सर्वाधिक अंक हासिल करने वाले विद्यार्थियों का सम्मान करते हुए उनके साथ भोजन किया था। ये बात उन्होंने सात साल के बेटे आयुष के साथ परिवार में भी साझा की। तभी से आयुष के मन में ख्वाहिश थी कि वह भी ऐसा दिन लाएं कि पिता को गर्व महसूस हो। बाक्स..

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पूर्व जीडीए वीसी के बेटे ने हासिल की 1,173 रैंक

जासं, गाजियाबाद : गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष रहे संतोष यादव के बेटे अक्षांश यादव ने जेईई एडवांस 1,173 रैंक हासिल की। अक्षांश का कहना है कि उनको इससे बेहतर की उम्मीद थी, लेकिन आइआइटी में प्रवेश मिल सकेगा, इसके लिए खुश हैं। पिछले साल की तैयारी में उन्होंने बेहतर रैंक हासिल की। राजनगर सेक्टर-2 के रहने वाले अक्षांश यादव ने डीपीएसजी गाजियाबाद से 10वीं में 98.4 और 12वीं में 99 फीसद अंक हासिल किए थे। नौवीं कक्षा से उन्होंने राजनगर स्थित फिटजी में कोचिग शुरु कर दी थी। पिछले चार साल से वह तैयारी में जुटे थे। जेईई मेंस में उन्होंने 3,310 रैंक हासिल की थी। अब जेईई एडवांस में 1,173 रैंक प्राप्त करते हुए शानदार सफलता हासिल की। दूसरे छात्रों को संदेश देते हुए अक्षांश यादव ने बताया कि सिलेबस का हर रोज लक्ष्य निर्धारित कर तैयारी करने से समय से सिलेबस पूरा हो जाता है। इससे दिमाग पर सिलेबस का बोझ नहीं रहता और रिविजन का भी समय मिल जाता है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां सरिता यादव, पिता, सभी स्वजन और शिक्षकों को दिया।


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