भूखंड पर कब्जे के विरोध में जेसीबी के आगे लेटीं महिलाएं
अफजलपुर गांव में 120 बीघे भूमि पर कब्जा करने गए हाउसिग कंपनी के कर्मचारियों को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा। गुस्साएं ग्रामीण महिलाओं ने जेसीबी के सामने लेटकर विरोध प्रकट किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ग्रामीणों के पास कोई दस्तावेज नहीं है। यदि ग्रामीण दस्तावेज दिखाते है तो कार्य को यथास्थिती रुकवा दिया जाएगा।
संवाद सहयोगी, लोनी : अफजलपुर गांव में 120 बीघे भूमि पर कब्जा करने गए हाउसिग कंपनी के कर्मचारियों को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा। गुस्साईं ग्रामीण महिलाओं ने जेसीबी के सामने लेटकर विरोध प्रकट किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ग्रामीणों के पास कोई दस्तावेज नहीं हैं। यदि ग्रामीण दस्तावेज दिखाते हैं तो कार्य को यथास्थिती रुकवा दिया जाएगा। बता दें कि वर्ष 2008 में अफजलपुर गांव के कुछ किसानों ने एक लैंड हाउसिग कंपनी को करीब 120 बीघे जमीन बेची थी। ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी ने जमीन खरीदते समय भूमि के रेट करीब 45 लाख रुपये प्रति बीघा जमीन के हिसाब से पैसे देने तय किए थे लेकिन कंपनी ने 13 लाख रुपये प्रति बीघा के रेट से किसानों को भुगतान किया। शेष पैसे रजिस्ट्री होने के बाद देने की बात कही गई थी। रजिस्ट्री के बाद भी ग्रामीणों को पैसे नहीं मिले। पिछले तीन दिन से कंपनी के कर्मचारी जमीन पर कब्जा लेने के लिए प्रयासरत हैं लेकिन ग्रामीण लगातार विरोध कर रहे हैं। फिर पहुंचे कंपनी अधिकारी : मंगलवार सुबह कंपनी के कर्मचारी जेसीबी मशीन लेकर भूमि का कब्जा लेने पहुंचे तो गांव की महिलाएं विरोध प्रकट करते हुए जेसीबी मशीन के सामने लेट गईं। पुलिस के अधिकारियों ने महिला पुलिस कर्मियों को बुलवाकर प्रदर्शन कर रही महिलाओं को हटवाया और कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया। जिसपर कंपनी के कमचारियों ने देर शाम तक जमीन पर जेसीबी मशीन चलाकर भूखंड को चिह्नित किया। लोगों का आरोप है कि पुलिस कंपनी अधिकारियों के साथ मिलकर उनकी जमीन हड़पने का प्रयास कर रही है। वह मामले की शिकायत एसएसपी से करेंगे।
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पुलिस का बयान : कोतवाली प्रभारी संजय वर्मा का कहना है कि कंपनी संचालक द्वारा जमीन के दस्तावेज दिखाए गए हैं। जबकि ग्रामीणों के पास कोई दस्तावेज नही हैं। दोनों पक्षों का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। यदि ग्रामीण को अगली तारीख पर स्टे मिल जाता है तो कार्य को रुकवा दिया जाएगा।