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महिलाओं ने कोरोना को हराने में मारी बाजी

कोरोना काल के इस संकट में भी पुरूषों के मुकाबले महिलाएं निडर होकर खुद को ही नहीं पूरे परिवार को संक्रमण से बचा रहीं हैं। अब इसे सतर्कता कहें या मजबूत प्रतिरोधक क्षमता लेकिन यह सच है कि पुरूषों के सापेक्ष कोरोना संक्रमित महिलाएं अधिक और जल्दी ठीक होकर घर पहुंच रहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक तीन महीने के भीतर कोरोना पॉजिटिव पाए गए 171 में से ठीक होने वालों की संख्या 141 है। वहीं पर अब तक पॉजिटिव पाई गईं कुल 64 महिलाओं में से 53

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 08:37 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 08:37 PM (IST)
महिलाओं ने कोरोना को हराने में मारी बाजी
महिलाओं ने कोरोना को हराने में मारी बाजी

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : कोरोना काल के इस संकट में भी पुरूषों के मुकाबले महिलाएं निडर होकर खुद को ही नहीं पूरे परिवार को संक्रमण से बचा रहीं हैं। अब इसे सतर्कता कहें या मजबूत प्रतिरोधक क्षमता लेकिन यह सच है कि पुरूषों के सापेक्ष कोरोना संक्रमित महिलाएं अधिक और जल्दी ठीक होकर घर पहुंच रहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक तीन महीने के भीतर कोरोना पॉजिटिव पाए गए 171 में से ठीक होने वालों की संख्या 141 है। वहीं पर अब तक पॉजिटिव पाई गईं कुल 64 महिलाओं में से 53 महिलाएं कोरोना को हराकर अपने घर पहुंच चुकी हैं। पुरूषों के सापेक्ष ठीक होने का यह बेहतर परिणाम है। कोविड अस्पताल के स्टाफ का मानना है कि महिलाएं चलती-फिरती कुछ बीमारियों को झेल जाती है। बुखार, खांसी, सिर दर्द और जुकाम से कभी घबराती हीं नहीं हैं। ठीक होने वाली महिलाओं में दो साल की बच्ची से लेकर 72 साल की बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल है।

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एक हजार महिलाएं कर रहीं हैं सेवा

कोरोना काल में अकेले स्वास्थ्य विभाग में मरीजों की जांच, उपचार, हेल्प डेस्क, टीकाकरण, सैनिटाइजेशन, सर्विलांस, स्क्रीनिग और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं में दिन रात एक हजार से अधिक डॉक्टर, नर्स, आशा, लैब टैक्नीशियन, आया, स्वीपर आदि काम कर रही हैं। कोरोना के बीच खुद को बचाते हुए मरीजों की सेवा कर रहीं हैं।

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जिले में है साढ़े सोलह लाख महिलाएं

जनगणना 2011 के मुताबिक जिले की कुल 34 लाख की आबादी में से 16 लाख 60 हजार महिलाएं हैं। 18 लाख 60 हजार पुरूष है। इसी के क्रम में विगत एक साल में पुरूषों ने बेशक शर्म के चलते नसबंदी न करवाई हो लेकिन 1563 महिलाओं ने परिवार नियोजन के चलते नसबंदी करवाई है।

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पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है। बचपन से लेकर शादी होने तक महिलाओं का खान-पान बहुत अच्छा नहीं होता था, अब इसमें सुधार है। किचन में काम करने के बाद भी महिलाएं सरकारी व निजी क्षेत्रों में नौकरी कर रही है। कोरोना मरीजों की देखभाल की अधिकांश जिम्मेदारी महिला डॉक्टर, नर्स और आया ही निभा रही हैं। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर और मजबूत आत्मविश्वास का ही असर है कि कोरोना पॉजिटिव महिलाएं बहुत जल्दी स्वस्थ होकर घर पहुंच रहीं हैं। अकेले गाजियाबाद में ही 53 महिलाएं ठीक हो चुकी हैं। खान-पान ठीक रखती है। आलस्य बहुत कम होता है। बच्चों, बुजुर्गों के अलावा पति का ध्यान रखती हैं। घर से बाहर निकलने वाली महिलाओं की संख्या कम है। ऐसे में संक्रमण का खतरा भी कम है।

- डॉ. रेणु गुप्ता, अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मेरठ


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