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उद्योग बंद होने पर भी प्रदूषण बढ़ने पर उठाए सवाल सवाल

पिछले चार दिन से इंडस्ट्रीज बंद होने के बावजूद भी प्रदूषण घटने की बजाए बढ़ रहा है। इसके पीछे अकेले इंडस्ट्रीज को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता। गाजियाबाद जनपद एक जनपद एक उत्पाद के तहत इंडस्ट्रियल गुड्स के लिए जाना जाता है। इनमें 90 फीसद इंडस्ट्रीज से प्रदूषण नहीं होता। सड़क किनारे वाहनों से उड़ती धूल वायु प्रदूषण

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 07:20 PM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 07:20 PM (IST)
उद्योग बंद होने पर भी प्रदूषण बढ़ने पर उठाए सवाल सवाल
उद्योग बंद होने पर भी प्रदूषण बढ़ने पर उठाए सवाल सवाल

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : पिछले चार दिन से इंडस्ट्रीज बंद होने के बावजूद प्रदूषण बढ़ रहा है। इसके पीछे अकेले इंडस्ट्रीज को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता। गाजियाबाद जनपद एक जनपद एक उत्पाद के तहत इंडस्ट्रियल गुड्स के लिए जाना जाता है। इनमें 90 फीसद इंडस्ट्रीज से प्रदूषण नहीं होता। सड़क किनारे वाहनों से उड़ती धूल वायु प्रदूषण के लिए एक बड़ी वजह है।

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इस बारे में आइआइए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीरज सिघल ने बताया कि वायु प्रदूषण बढ़ने की वजह मानते हुए पिछले चार दिन से इंडस्ट्रीज बंद है। इसके बावजूद वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। इसके लिए असली कारकों को तलाश कर उन पर प्रतिबंध लगाने या इलाज की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ओडीओपी के तहत जनपद इंडस्ट्रियल गुड्स की श्रेणी में है और यहां 90 प्रतिशत इंडस्ट्रीज से प्रदूषण नहीं फैलता। सिर्फ 10 प्रतिशत इंडस्ट्रीज के लिए सभी को बंद कराया जाता है। इस समय 70 फीसद लेबर भी काम पर नहीं है। बावजूद इसके प्रदूषण कम होने की बजाय बढ़ रहा है। शासन, प्रशासन व प्रदूषण विभाग को असल में प्रदूषण फैलाने वाले कारकों को तलाश कर उन पर प्रतिबंध की जरूरत है। उनका कहना है कि सड़क किनारे मिट्टी और निर्माण के चलते उड़ रही धूल रोकने के इंतजाम जरूरी है। निगम को चाहिए कि सड़क किनारे कच्ची जगह को पक्का करे या फिर हरा-भरा रखे ताकि धूल के कण प्रदूषण न फैला सकें। वहीं, खुले में चल रहे निर्माण कार्य एवं सड़क किनारे पड़ी निर्माण सामग्री भी प्रदूषण का कारक हैं। इन पर कार्रवाई तय होनी चाहिए। सरकार को राजस्व देने एवं रोजगार सृजन करने वाली इंडस्ट्रीज को ही प्रदूषण का कारक मानना गलत है।


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