सप्ताह का साक्षात्कार-कोरोना की रोकथाम के लिए ऑर्सेनिक एलबम-30 किस हद तक कारगर है?
कोरोना के केस बढ़ रहे हैं तो स्वस्थ होने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में अ
कोरोना के केस बढ़ रहे हैं तो स्वस्थ होने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में आयुष मंत्रालय ने कोरोना से बचाव के लिए शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए होम्योपैथिक दवा ऑर्सेनिक एलबम-30 और वन एम की सलाह दी है। जिले में इसी को ध्यान में रखकर ऑर्सेनिक एलबम दवा का वितरण तेज कर दिया गया है। तीन महीने में 70 हजार लोगों को दवा दी जा चुकी है। एलोपैथिक दवा के साथ ही ऑर्सेनिक एलबम दी जा सकती है। दैनिक जागरण के मदन पांचाल ने जिला होम्योपैथिक अधिकारी डॉ. रश्मि कांबोज से कोरोना पर बातचीत की। प्रस्तुत हैं कुछ अंश: सवाल-कोरोना की रोकथाम के लिए ऑर्सेनिक एलबम-30 किस हद तक कारगर है?
जवाब- होम्योपैथी में लक्षणों के आधार पर किसी भी रोग की दवा दी जाती है। कोरोना एक वायरल बीमारी है। ऐसे में कोरोना सहित किसी भी संक्रामक रोग के लिए होम्योपैथिक उपचार अधिक कारगर है। संक्रमित मरीज ही नहीं किसी भी व्यक्ति को यदि शरीर की इम्युनिटी पॉवर बढ़ाने वाली दवाएं दी जाएं तो वायरल इंफेक्शन को रोका जा सकता है। आयुष मंत्रालय द्वारा सुझाई गई ऑर्सेनिक एलबम 30 भी संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए सबसे कारगर दवा है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यदि मजबूत होगी तो संक्रमण होगा और कब खत्म हो जाएगा इसका पता भी नहीं चलेगा। ऐसे में ऑर्सेनिक एलबम का उपयोग किया जाना सही होगा। इस दवा को प्रतिरोधक दवा के रूप में वितरित किया जा रहा है। सवाल-ऑर्सेनिक एलबम-30 और वन एम में क्या अंतर हैं और कितनी मात्रा में दवा ली जाए?
जवाब-ऑर्सेनिक एलबम-30 की मारक क्षमता कम हैं और ऑर्सेनिक एलबम-वन एम की अधिक है। ऑर्सेनिक एलबम-30 की तीन-तीन गोलियां सुबह, दोपहर, शाम को तीन दिल लगातार लेनी अनिवार्य होती हैं जबकि ऑर्सेनिक एलबम-वन एम की चार गोलियां छह महीने के लिए काफी होती हैं। फिर भी यदि शरीर में कुछ कमजोरी या फिर कुछ हरारत महसूस हो तो चार गोलियां हर महीने ली जा सकती हैं। सवाल-कोरोना की वैक्सीन नहीं बनी हैं, ऐसे में ऑर्सेनिक एलबम यदि कारगर है तो इसका वितरण पॉजिटिव मरीजों को क्यों नहीं किया जा रहा है?
जवाब- आगरा में कई पॉजिटिव मरीजों को दवा परीक्षण के तौर पर दी गई तो वे चार-पांच दिन में ठीक हो गए। कई अन्य जगहों पर ऑर्सेनिक एलबम दवा खाने से संक्रमित ठीक हो रहे हैं। केंद्र एवं राज्य सरकार इस दवा को कोविड अस्पतालों में उपलब्ध कराने को लेकर मंथन कर रही हैं। शासन के उच्च अफसरों ने इस संबंध में जिलास्तरीय अफसरों से राय मांगी है। गाजियाबाद में जल्द ही कोविड अस्पतालों में दवा वितरण पर निर्णय संभव है। सवाल-जिले में कितने लोगों को दवा बांटी गई है और कितनों को बंटनी है?
जवाब- महिला, बुजुर्ग, बच्चों को वरीयता के आधार पर दवा बांटी जा रही है। अब तक सत्तर हजार लोगों को दवा बांटी जा चुकी हैं। क्वारंटाइन सेंटरों में रह रहे लोगों के अलावा प्रवासी कामगारों को भी दवा बांटी गई है। सरकारी अफसरों व कर्मचारियों को लगातार दवा दी जा रही है। पुलिस के चार हजार जवानों और 28 सौ सरकारी अध्यापकों को दवा दी गई है। कलेक्ट्रेट और विकास भवन के कर्मचारियों, पीएसी के जवानों व 465 बैंकों के सभी कर्मचारियों को भी दवा वितरित की गई है। जिले के 161 गांवों में दो लाख लोगों को और मलिन बस्तियों में एक लाख लोगों को दवा बांटने की मांग शासन को भेजी गई है। सवाल-जिले में दवा बांटने के बाद के नतीजे क्या रहे हैं?
जवाब- पीएसी के जवानों को सबसे पहले फरवरी में ऑर्सेनिक एलबम का वितरण किया गया था। वहां के सभी लोग स्वस्थ हैं। विकास भवन और स्वास्थ्य विभाग के जिन लोगों को दवा दी गई, वे सभी स्वस्थ हैं। दवा लेने के बाद होम्योपैथिक विभाग का पूरा स्टाफ एवं उनके परिवार के लोग स्वस्थ है। खांसी, जुकाम, छींक और बुखार के अनेक मरीज इस दवा को लेने के बाद ठीक हो रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने कोविड मरीजों के लिए ऑर्सेनिक एलबम अनिवार्य कर दी है। साल 2018 में मुजफ्फरनगर में स्वाइन फ्लू की दवा 23 लाख लोगों को बांटने के बाद जिले में इससे अधिक लोगों को ऑर्सेनिक एलबम बांटने का लक्ष्य है। जीवन परिचय
नाम- रश्मि कांबोज
पिता का नाम- शेर सिंह कांबोज
माता का नाम- सुशीला कांबोज
पति का नाम- अनिल कुमार
बेटे- डॉ. अभिषेक, अभिनव कुमार
हाईस्कूल व इंटर अलमोड़ा से उत्तीर्ण किया
डीएचएमएस होम्योपैथिक पंजाब से किया
पहली पोस्टिग देवबंद में हुई
साल 2018 में स्वाइन फ्लू की दवा 23 लाख लोगों को बांटी
दो साल से जनपद में तैनात हैं
मूलरूप से देहरादून की रहने वाली हैं।