पीपीई किट पर नजर रखने के लिए बनी कमेटी
घटिया क्वालिटी की पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट(पीपीई)किट की आपूर्ति और उसके डिस्पोजल को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता तेज कर दी है। पीपीई किट की वितरण के समय बारीकी से जांच करने के बाद ही डॉक्टर लैब टेक्नीशियन नर्स वार्ड ब्याय और स्वीपर को उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए सीएमओ द्वारा एक समिति का गठन कर दिया गया है। इतना ही नहीं आगरा में उपयोग के बाद बच्चों के हाथ में पाई गई पीपीई किट के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देश पर पीपीई किट के निस्तारण को लेकर सख्त निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : घटिया क्वालिटी की पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) किट की आपूर्ति और उसके डिस्पोजल को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता तेज कर दी है। वितरण के समय पीपीई किट की बारीकी से जांच करने के बाद ही डॉक्टर, लैब टेक्नीशियन, नर्स, वार्ड ब्याय और स्वीपर को उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए सीएमओ द्वारा एक समिति का गठन कर दिया गया है। आगरा में उपयोग की जा चुकी पीपीई किट लकड़ी बीनने वाले बच्चों के हाथ में पाई गई। इस पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देश पर पीपीई किट के निस्तारण को लेकर सख्त निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
सरकारी और निजी अस्पताल के परिसर एवं बाहर यदि पीपीई किट अथवा उसका फटा हुआ अंश मिला तो संबंधित अस्पताल के प्रबंधन पर महामारी अधिनियम के तहत एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए जांच दल का अलग से गठन किया गया है। इसी क्रम में अब दान में भी ऐसी ही पीपीई किट ली जाएंगी जो साउथ इंडिया टैक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (सिट्रा) और डीआरडीओ से एप्रूव्ड होंगी। पीपीई किट निर्माण में घटिया गुणवत्ता के उपयोग के खतरे को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। पीपीई किट के निर्माण में उपयोग किए गए फैब्रिक की क्वालिटी और अटैच किए गए मास्क, चश्मे, ग्लव्स, डिस्पोजल बैग के साथ ही सर्टिफिकेशन की अलग से जांच किए जाने के बाद ही स्टाफ को उपलब्ध कराई जाएगी। जांच के बाद ही स्टाफ को पीपीई किट दी जाएगी। पहनने से पहले बारीकी से जांच होगी। इसके लिए समिति गठित की गई है। सरकारी और निजी अस्पताल परिसर अथवा बाहर इस्तेमाल की गई पीपीई किट और उसका कटा-फटा हिस्सा भी मिला तो महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। दान में भी अब केवल सिट्रा और डीआरडीओ द्वारा सत्यापित पीपीई किट ही स्वीकार की जाएंगी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से जारी निर्देशों के क्रम में अलग से जांच दल बना दिया गया है।
- डॉ. एनके गुप्ता, सीएमओ