यूपीएसआइडीसी ने अपनाया कारपोरेट कल्चर
सरकारी दफ्तरों के बारे में सोचने भर से संबंधित विभागों से संबंधित समस्याओं के अंबार और लोगों की भीड़ की तस्वीर सामने आती है। लेकिन यूपीएसडीआइसी दफ्तर ने कारपोरेट कल्चर अपनाते हुए एक मिसाल कायम की है। आवेदक और उद्यमी स्टाफ से न मिलकर सीधे क्षेत्रीय प्रबंधक के समक्ष समस्या रखते हैं, जिनका मौके पर ही समाधान होता है। यही वजह है कि यहां लंबित शिकायत बेहद कम हैं। यूपीएसआइडीसी में सिस्टम पूरी त
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : सरकारी दफ्तरों के बारे में सोचने भर से संबंधित विभागों से संबंधित समस्याओं के अंबार और लोगों की भीड़ की तस्वीर सामने आती है। लेकिन यूपीएसडीआइसी दफ्तर ने कारपोरेट कल्चर अपनाते हुए एक मिसाल कायम की है। आवेदक और उद्यमी स्टाफ से न मिलकर सीधे क्षेत्रीय प्रबंधक के समक्ष समस्या रखते हैं, जिनका मौके पर ही समाधान होता है। यही वजह है कि यहां लंबित शिकायत बेहद कम हैं।
यूपीएसआइडीसी में सिस्टम पूरी तरह से बदल गया है। प्रभावी और पारदर्शी कार्य प्रणाली के लिए यूपीएसआइडीसी ने कारपोरेट कल्चर अपनाया है। यहां कोई भी समस्या लेकर पहुंचने वालों के लिए स्टाफ से मिलने पर पाबंदी लगाते हुए सीधे क्षेत्रीय प्रबंधक से अपनी समस्या रखने की छूट है। उनकी गैर मौजूदगी में द्वितीय अधिकारी की ओर से मौके पर ही समस्या के समाधान का प्रयास किया जाता है। इसके चलते भीड़ कम होने के साथ ही लंबित शिकायतों की संख्या में घटकर न के बराबर रह गई है। हाल में गाजियाबाद व हापुड़ में 451 नई इकाइयां लगाई गई हैं, जिनके अलॉटमेंट, हस्तांतरण व समय से निस्तारण किया गया। पारदर्शिता के लिए निवेश मित्र पोर्टल पर उद्यमियों के लिए नक्शे और अलॉटमेंट ऑनलाइन हो रहे हैं। उद्योग बंधु की बैठकों में आरएम का कोई मामला लंबित नहीं है।
कार्रवाई होने पर बढ़ा राजस्व
विभागीय स्तर पर 400 इकाइयों का सर्वे किया गया, जिसमें किरायेदारी मिलने पर 200 को नोटिस जारी किए गए, जिसे नियमानुसार कराने के बाद अब इसका राजस्व प्राप्त हो रहा है। नए भूखंड सृजित करने के साथ ही निरस्तीकरण के लिए 48 नोटिस जारी किए गए हैं, जिन्होंने समयावधि में इकाइयां नहीं लगाई हैं।
प्रदूषण व वृक्षारोपण के लिए जागरूकता
यूपीसीआइडीसी की ओर से औद्योगिक संगठनों के साथ मिलकर प्रदूषण नियंत्रण एवं वृक्षारोपण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। औद्योगिक क्षेत्र में करीब साढ़े छह हजार इकाईयां हैं, जिन्हें प्रत्येक को दो वृक्ष लगाने की की अपील की गई है। इनमें से अधिकांश इकाईयों ने अपनी इकाईयों के अंदर और बाहर काफी संख्या में वृक्षारोपण किया है। इससे प्रदूषण पर कंट्रोल के साथ ही वातावरण में भी सुधार आया है।
यूपीएसआइडीसी में किसी भी आवेदक या उद्यमी से सीधे मिलकर उनकी किसी भी समस्या का नियमानुसार निस्तारण कराया जाता है। कई मामले ऐसे होते हैं, जिनका मौके पर ही निस्तारण कर दिया जाता है। यही वजह है कि कोई लंबित समस्याएं नहीं हैं।
- स्मिता ¨सह, क्षेत्रीय प्रबंधक, यूपीएसआइडीसी