डीएमआरसी के नाम पर गाड़ियां लेकर बेचने में हेड कांस्टेबल समेत दो गिरफ्तार
डीएमआरसी में कार लगा 30-35 हजार रुपये प्रतिमाह की आय का झांसा दे 55-60 गाड़ियां हड़पकर बेचने वाले गिरोह का कविनगर पुलिस ने मंगलवार को पर्दाफाश कर दिया। एसएचओ मोहम्मद असलम ने बताया कि सिहानी गेट थानाक्षेत्र की यूपी-112 पीआरवी पर तैनात हेड कांस्टेबल मनोज कुमार और शिब्बनपुरा निवासी इलेक्ट्रीशियन दीपक कुमार को गिरफ्तार कर 12 कार बरामद की हैं। बरामद सेंट्रो कार खुद मनोज चला रहा था जिसे उसने तीन माह पूर्व आरोपितों से खरीदा था। फिर कमीशन के लिए आरोपितों की कार बिकवाने में मदद करने लगा। कई कार की डील उसने खुद ही की और सेल लेटर भी अपने नाम का दिया था।
जासं, गाजियाबाद : डीएमआरसी में कार लगा 30-35 हजार रुपये प्रतिमाह की आय का झांसा दे 55-60 गाड़ियां हड़पकर बेचने वाले गिरोह का कविनगर पुलिस ने मंगलवार को पर्दाफाश कर दिया। एसएचओ मोहम्मद असलम ने बताया कि सिहानी गेट थानाक्षेत्र की यूपी-112 पीआरवी पर तैनात हेड कांस्टेबल मनोज कुमार और शिब्बनपुरा निवासी इलेक्ट्रीशियन दीपक कुमार को गिरफ्तार कर 12 कारें बरामद की हैं। बरामद सेंट्रो कार खुद मनोज चला रहा था, जिसे उसने तीन माह पूर्व आरोपितों से खरीदा था। फिर कमीशन के लिए आरोपितों की कार बिकवाने में मदद करने लगा। कई कार की डील उसने खुद ही की और सेल लेटर भी अपने नाम का दिया था।
ऐसे हुआ पर्दाफाश
दिल्ली निवासी संजय ने रविवार को कविनगर क्षेत्र में दोस्त की वैगनआर कार देखी थी, जिसे उन्होंने ही वरुण को डीएमआरसी में लगवाने को दिया था। मगर न तो पैसे मिले थे और न ही कार लौटाई गई। पुलिस कार व चालक को थाने लाई तो पता चला कि कार ढाई लाख रुपये में बेची गई है। कुछ ही देर में 20-25 लोग थाने पहुंचे और उन्होंने भी कार हड़पने की बात कही। सोमवार को गोकलपुरी निवासी सरगना वरुण उर्फ बब्लू, दीपक कुमार, सुमित कुमार, राहुल और आशु के खिलाफ 53 गाड़ियां हड़पने की रिपोर्ट दर्ज हुई थी। एक कार-दो शिकार
वरुण ने ठगी के ऐसे गिरोह की शुरुआत की थी, जिसमें एक कार से दो लोगों को ठगा जाता था। एडवांस पेमेंट और एफिडेविट दे भरोसा जीतते थे। कर कार लेते थे। इसी कारण अगस्त-2019 से अब तक 50-60 कार ले लीं। पहला शिकार कार मालिक होता था, जबकि दूसरा शिकार कार को खरीदने वाला बनता था। आरोपित मालिक के विदेश जाने व लोन-रिकवरी की गाड़ी बताते। कार की अच्छी कंडीशन और मार्केट से कम कीमत के कारण खरीदार फंस जाते थे। पुलिस के मुताबिक मालिक को दिया एफिडेविट दिखाते और जरूरत पड़ती तो मनोज खुद सौदा करता था। 80-90 फीसद रकम लेकर कार खरीदार को दे देते और बाकी रकम कार के ट्रांसफर के समय देने की बात कह आरोपित चंपत हो जाते थे।
बॉक्स..बचाने के तरीके फेल, हेड कांस्टेबल निलंबित
हड़पी गई कार मनोज से बरामद होने के बाद भी थाना पुलिस ने उसे बचाने की कोशिश की। पीड़ितों का आरोप था कि मनोज को पुलिस ने थाने से छोड़ दिया और तहरीर भी बदलवाकर उसका नाम हटवा दिया। मगर पुलिस के ये तरीके फेल हो गए और उच्चाधिकारियों तक मामला पहुंचा तो विवेचना में मनोज को आरोपित बनाना पड़ा और उसकी गिरफ्तारी की गई। एसएसपी कलानिधि नैथानी ने उसे निलंबित कर विभागीय जांच के भी आदेश दिए हैं।