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लैंडपूलिग पॉलिसी में संशोधन न होने से फंसी ट्रांसपोर्ट नगर की योजना

शहर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए ट्रांसपोर्ट नगर बसाने की योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही। लैंडपूलिग पॉलिसी में संशोधन का प्रस्ताव शासन में लंबित पड़ा है। किसान संशोधन से पहले अपनी जमीन देने को तैयार नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 09:05 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 06:10 AM (IST)
लैंडपूलिग पॉलिसी में संशोधन न होने से फंसी ट्रांसपोर्ट नगर की योजना
लैंडपूलिग पॉलिसी में संशोधन न होने से फंसी ट्रांसपोर्ट नगर की योजना

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : शहर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए ट्रांसपोर्ट नगर बसाने की योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही। लैंडपूलिग पॉलिसी में संशोधन का प्रस्ताव शासन में लंबित पड़ा है। किसान संशोधन से पहले अपनी जमीन देने को तैयार नहीं है।

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जिले में ट्रांसपोर्ट नगर नहीं है। इस कारण ट्रक और कंटेनर सड़कों के किनारे खड़े होते हैं। इससे चिकंबरपुर, मेरठ रोड, जीटी रोड पर जाम की स्थिति बनी रहती है। जीडीए ने 100 एकड़ भूमि में लैंडपूलिग पॉलिसी के तहत ट्रांसपोर्ट नगर बसाने की योजना बनाई थी। जिसे जीडीए बोर्ड ने मंजूरी भी प्रदान कर दी थी। इस बारे में मोरटी, मटियाला समेत कई गांवों के किसानों से बात की गई है। प्रयास यही है कि नॉर्दर्न पेरिफेरल रोड या ईस्टर्न पेरिफेरल रोड के पास ट्रांसपोर्ट नगर बसाया जाए। किसानों इस परियोजना के लिए जमीन देने को तैयार हैं, लेकिन उन्हें मौजूदा लैंडपूलिग पॉलिसी पसंद नहीं है। वह मांग कर रहे हैं कि 40 फीसद भूमि विकसित करके वापस दी जाए। इसके लिए उन्होंने संशोधन की मांग रखी थी। जीडीए अधिकारियों ने उनके फीडबैक के आधार पर पॉलिसी में संशोधन के लिए तीन सुझाव भेजे थे। जिसमें कहा गया था कि विकास कार्य पूर्ण होने तक क्षतिपूर्ति का भुगतान किसान को किया जाए। किसान को न्यूनतम भूमि निश्चित रूप से दी जाए। किसानों को लौटाई जाने वाली भूमि का उपयोग मिश्रित करने का सुझाव भी दिया था। जीडीए वीसी कंचन वर्मा ने बताया कि वह 21 जनवरी को प्रस्तावित मासिक प्रगति की बैठक में इस मामले पर शासन में वार्ता करेंगी।


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