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जीएसटी के सरलीकरण को लेकर व्यापार संगठन ने उठाए सवाल

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के सरलीकरण को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल की ओर से सवाल उठाया गया है। व्यापार मंडल ने साल 2017 में जीएसटी कानून की मार्केटिग बेहद अनूठे ढ़ंग से की गई जिसमें व्यापारियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद व्यापारियों के लिए इसमें सरलीकरण नहीं हुआ।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 03:29 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 03:29 PM (IST)
जीएसटी के सरलीकरण को लेकर व्यापार संगठन ने उठाए सवाल
जीएसटी के सरलीकरण को लेकर व्यापार संगठन ने उठाए सवाल

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के सरलीकरण को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल की ओर से सवाल उठाया गया है। व्यापार मंडल ने साल 2017 में जीएसटी कानून की मार्केटिग बेहद अनूठे ढ़ंग से की गई, जिसमें व्यापारियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद व्यापारियों के लिए इसमें सरलीकरण नहीं हुआ।

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश महासचिव तिलकराज अरोड़ा का कहना है कि जीएसटी को एक सरल और अच्छा कर का माध्यम बताते हुए कहा गया कि व्यापारी को सिर्फ एक कर का पालन करना होगा। व्यापारी अपना काम खुलकर कर सकेगा। जीएसटी आर-1 यानि अपनी बिक्री/अपनी सप्लाई का पूरा विवरण समस्त देश के व्यापारी जीएसटी आर-1 में भरेंगे। व्यापारी जीएसटी आर-1 में अपनी बिक्री का विवरण भरेंगे तो अपने आप सरकार द्वारा जीएसटीएन द्वारा फॉर्म जीएसटी आर-2 तैयार होगा। व्यापारियों को सरकार जीएसटीएन के माध्यम से जीएसटी आर-2 भेजेगी, जिसे व्यापारी को देखना है। इसमें कुछ कम-ज्यादा है तो उसे दुरुस्त करना है। जीएसटीएन को भेज देना इस आधार पर जीएसटी मासिक विवरण अपने आप तैयार होगा। इसमें जीएसटी आर-3बी नाम से कुछ नहीं था। अब फॉर्म 3-बी आ गया, जिसमें व्यापारियों को एक-एक बिल का विवरण भरना पड़ता है और वह त्रस्त हैं। वहीं, पोर्टल की क्षमता इतनी नहीं है कि सभी व्यापारियों का विवरण ले सके। इसके अलावा कहा गया कि जब ई-वे बिल बनेगा तो तीन जगह एसएमएस जाएंगे, जिनमें प्राप्तकर्ता, ट्रांसपोर्टर व भेजने वाला शामिल होगा। इससे मालूम होगा कि माल कहां और किसे जा रहा है। अगर उसने माल नहीं मंगाया तो वह उस ई-वे बिल को रद्द कर सकता है। ऐसा कुछ नहीं हुआ है। टैक्स से ज्यादा पेनल्टी और लेट फीस को लेकर व्यापारी त्रस्त है। उन्होंने सरकार से इसके स्थायी समाधान की मांग की है।


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