बेसहारा संक्रमित बुजुर्ग के साथ सिस्टम ने भी आंखें फेरी
जागरण संवाददाता गाजियाबाद बुद्धलाल अब दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी मौत कोरोना महामारी
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: बुद्धलाल अब दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी मौत कोरोना महामारी के शोर के बीच अनेक सवाल छोड़ गई है। पहले एंबुलेंस नहीं मिली, फिर भर्ती नहीं किया गया। इतना ही नहीं शव का अंतिम संस्कार करने के नाम पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने हिडन मोक्ष स्थली तक जाना मुनासिब नहीं समझा। एंबुलेंस में भेजकर शव का अंतिम संस्कार कराया गया। अब सीएमओ डा.भवतोष शंखधर ने अलग तो सीएमएस डा.मनोज कुमार चतुर्वेदी ने अलग जांच समिति गठित की है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि बुजुर्ग की मौत स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही की वजह से हुई है। 20 दिन पहले एक कंपनी द्वारा एक एएलएस ऐसे ही मरीजों को लाने-ले जाने को दान में दी गई थी लेकिन उसका इस्तेमाल कहां हो रहा है किसी को पता नहीं है। दुहाई के वृद्धाश्रम में अपनों की दुत्कार के बाद जिदगी के अंतिम दिन गुजार रहे बुद्धलाल को सांस लेने में परेशानी हुई तो 20 जनवरी को उन्हें सीएचसी मुरादनगर में भर्ती करा दिया गया। आक्सीजन स्तर कम देख सीएचसी प्रभारी ने तुरंत एमएमजी रेफर कर दिया। एमएमजी में भर्ती करते हुए कोरोना जांच को सैंपल भेज दिया। 22 जनवरी को रिपोर्ट पाजिटिव आने पर संतोष अस्पताल रेफर कर दिया गया। रेफर के कई घंटे बाद एंबुलेंस आई तो उक्त संक्रमित को संतोष अस्पताल ने भर्ती करने से इंकार कर दिया। एंबुलेंस चालक मरीज को वापस एमएमजी लेकर पहुंच गया। रेफर स्लिप दोबारा बनी और इस बार मेडिकल कालेज मेरठ रेफर किया। मरीज को लेकर निकली एंबुलेंस रास्ते में खराब हो गई। कई घंटे तक ठीक नहीं हुई तो चालक फिर वापस एमएमजी पहुंच गया। देर रात को दूसरी एएलएस का इंतजाम कर मरीज को मेरठ के लिए रवाना किया लेकिन मेडिकल कालेज में पहुंचते ही चिकित्सकों ने मृत बताते हुए उसे भर्ती करने से इंकार कर दिया। शव को लेकर एंबुलेंस चालक फिर एमएमजी पहुंचा। जिल एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डा. मनोज कुमार चतुर्वेदी का कहना है कि लापरवाह चिकित्सकों एवं कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाएगा। डा. एके दीक्षित और डा. वीके मिश्रा को जांच सौंपी गई है। सीएमओ डा.भवतोष शंखधर ने रविवार को अस्पताल प्रबंधन को पूरे दिन मानवता का पाठ पढ़ाया। देर शाम को डा.सुनील त्यागी और डा. एके दीक्षित की अगुवाई में जांच समिति बना दी गई है। विधानसभा चुनाव के बीच किसी जनप्रतिनधि ने भी इस प्रकरण को संज्ञान नहीं लिया है।
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जांच के दायरे में आए
- एमएमजी की इमरजेंसी में 22 जनवरी को ड्यूटी देने वाले चिकित्सक
- फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, एंबुलेंस चालक
- संतोष अस्पताल का स्टाफ
- एंबुलेंस संचालन के जिला प्रभारी एवं नोडल