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    देश-विदेश में खुशबू फैला रहे मुकीमपुर के गुलाब

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 11 May 2022 11:08 PM (IST)

    भारत की आजादी के 75वें वर्ष को लेकर देश में आजादी का अमृत महोत्सव म

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    देश-विदेश में खुशबू फैला रहे मुकीमपुर के गुलाब

    अभिषेक सिंह, गाजियाबाद

    भारत की आजादी के 75वें वर्ष को लेकर देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। देश की आजादी में गाजियाबाद के मुकीमपुर गांव का भी उल्लेखनीय रोल रहा है, इस गांव को मूलत: राजस्थान के रहने वाले बाबा गुलाब सिंह ने बसाया था, उन्होंने सुरक्षा के लिए गांव में एक किला भी बनाया था, जिसे अंग्रेजों ने तोप से उड़ा दिया तो ग्रामीणों में आक्रोश और बढ़ गया था। अंग्रेजों से लोहा लेने वाले इस गांव की पहचान वर्तमान में गुलाब वाले गांव के रूप में होती है, यहां पर कन्नौज के कारोबारी प्लांट लगाकर इत्र तैयार करते हैं, जिसकी खुशबू देश-विदेश में फैल रही है।

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    ग्रामीण बताते हैं कि सन 1763 के सावन माह में बाबा गुलाब सिंह ने गांव बसाया था, गांव में वर्तमान में तीन हजार से अधिक परिवार रहते हैं। इनमें से 60 प्रतिशत से अधिक किसान अब परंपरागत खेती छोड़कर गुलाब की खेती करते हैं। गुलाब को वह साहिबाबाद सब्जी मंडी और गाजीपुर मंडी में बेचते हैं, जहां से प्रमुख मंदिरों, वैवाहिक स्थलों में इस्तेमाल के लिए खरीद होती है। फरवरी से मार्च में गुलाब की पैदावार अधिक होती है, उस वक्त गांव में गुलाब जल और इत्र तैयार करने के लिए प्लांट भी लगाया जाता है।

    एक बार लगाए पौधे, पांच साल कमाई: किसानों ने बताया कि गुलाब का पूजा पाठ में विशेष महत्व है। पहले गुलाब खरीदने के लिए दूर जाना पड़ता था। 20 साल पहले गांव में गुलाब की खेती की शुरुआत हुई, गुलाब की खेती के लिए एक बार पौधारोपण करना होता है, इसके बाद उसकी एक साल तक देखभाल करते हैं। एक साल बाद फूल आने शुरू होते हैं, ठीक से देखभाल हो तो पांच साल तक पौधों में फूल आते हैं। जिन्हें मंडी में बेचकर रोजाना आमदनी कर सकते हैं, जबकि परंपरागत गन्ने की खेती करने पर गन्ने की बिक्री के बाद भुगतान के लिए इंतजार करना पड़ता है, उससे परिवार का खर्च चलाने में मुश्किल होती थी। दूसरों से रुपये उधार लेने पड़ते थे। वहीं गुलाब की खेती से फायदा यह है कि परिवार का खर्च तो चलता ही है, किसी से उधार लेने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके साथ ही बचत भी होती है।

    एक बीघा में गुलाब की खेती से सालाना 25-30 हजार रुपये की बचत होती है, मैं 10 बीघे में गुलाब की खेती करता हूं, इससे अच्छी आमदनी हो जाती है। - सुधीस तोमर, किसान। गुलाब की खेती में परिश्रम ज्यादा लगता है, देखभाल भी करनी पड़ती है, लेकिन इससे आमदनी अधिक होती है। इसलिए गांव के ज्यादातर लोग गुलाब की खेती करते हैं।

    - अजय तोमर, किसान