विकास कार्यो का भुगतान डिजिटल हस्ताक्षर से करेंगे प्रधान व सचिव
ग्राम पंचायतों में भुगतान का सारा काम कैशलेस करने की ओर पंचायत राज विभाग बढ़ गया है। अगले माह से पूरी तरह से कैशलेस व्यवस्था को विभाग अपना लेगा। जिससे काम में पारदर्शिता आएगी और एक-एक रुपये का हिसाब लखनऊ स्तर की निगरानी में होगा। ग्राम पंचायतों में प्रधानों व सचिवों के डिजिटल हस्ताक्षर के नमूने ले लिए गए हैं। निधि-6 के तहत खुले ग्राम पंचायतों के खातों में ग्राम पंचायतों में हुए हर काम का पैसा सीधे शासन स्तर से आएगा। ग्राम सचिव इस खाते से ही पैसा सीधे कार्यदायी संस्था के एकाउंट में ट्रांसफर करेंगे।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : ग्राम पंचायतों में भुगतान का सारा काम कैशलेस करने की ओर पंचायत राज विभाग बढ़ गया है। अगले माह से पूरी तरह से कैशलेस व्यवस्था को विभाग अपना लेगा। जिससे काम में पारदर्शिता आएगी और एक-एक रुपये का हिसाब लखनऊ स्तर की निगरानी में होगा। ग्राम पंचायतों में प्रधानों व सचिवों के डिजिटल हस्ताक्षर के नमूने ले लिए गए हैं। निधि-6 के तहत खुले ग्राम पंचायतों के खातों में ग्राम पंचायतों में हुए हर काम का पैसा सीधे शासन स्तर से आएगा। ग्राम सचिव इस खाते से ही पैसा सीधे कार्यदायी संस्था के एकाउंट में ट्रांसफर करेंगे।
जिला पंचायत राज अधिकारी रेनू श्रीवास्तव ने बताया कि ग्राम प्रधानों व सचिवों के डिजिटल हस्ताक्षर के नमूने विभाग ने लेकर शासन को भेज दिए हैं। दरअसल पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) के तहत हर भुगतान कैशलेस होना है। इसके लिए निधि-6 के खातों को पीएफएमएस से जोड़ दिया गया है। अब सबसे पहले तो ग्राम पंचायतों में होने वाली विकास कार्यों की कार्ययोजना प्लान प्लस साफ्टवेयर में अपडेट होकर शासन जाएगी। फिर विकास कार्यों में आया बजट इन्ही निधि-6 के खातों में आएगा। ग्राम पंचायत में विकास कार्य करने वाली कार्यदायी संस्था या एजेंसी का भुगतान इसी खाते से आनलाइन होगा। पैसा सीधे कार्यदायी संस्था के एकाउंट में जाएगा। जितना काम होगा, उतना बजट शासन से आ जाएगा और भुगतान ग्राम प्रधान या सचिव कार्यदायी संस्था के एकाउंट में ही करेंगे। इससे हर भुगतान का पूरा ब्यौरा शासन स्तर पर देखा जा सकेगा।
काम में आएगी पारदर्शिता
इस व्यवस्था से काम में पारदर्शिता आएगी। अभी तक ग्राम पंचायत स्तर से विकास कार्यों के भुगतान का पैसा चेक के माध्यम से होता था। जिसमें कई बार कार्यदायी संस्था को बजट न होने के चलते लटकाए रखा जाता था। कई बार चेक बनवाने के नाम पर भी ग्राम पंचायत स्तर पर कमीशन खाने की शिकायतें मिलती थीं। अब जरूरत के हिसाब से ही पैसा शासन से आएगा और उसके भुगतान की जानकारी भी सीधे शासन स्तर पर जाएगी।
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