दोनाली बंदूक को संदूक में लग रही जंग
मदन पांचाल गाजियाबाद अशोक नगर दिल्ली के रहने वाले करतार सिंह ने गाजियाबाद से दोनाली बंद
मदन पांचाल, गाजियाबाद : अशोक नगर दिल्ली के रहने वाले करतार सिंह ने गाजियाबाद से दोनाली बंदूक का लाइसेंस आत्मसुरक्षा के लिए बनवाया था। 28 सितंबर 2000 को चुनाव के दौरान उन्होंने बंदूक को कविनगर स्थित प्रताप गन हाउस में जमा तो करा दिया लेकिन 20 साल बाद भी वह बंदूक को वापस लेने नहीं आए हैं। करतार ही नहीं मिथलेश, मीना, रामबीर और गौरी जैसे अनके शस्त्र लाइसेंस धारक दोनाली बंदूकों को जमा कराने के बाद जैसे भूल ही गए हैं। जबकि एक दौर था जब दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए दिल्ली से लखनऊ तक के नेताओं की सिफारिशें लगानी पड़ती थी। बंदूक खरीदने के लिए लोग जमीन तक बेच देते थे लेकिन समय के साथ दोनाली बंदूक का चलन कम हुआ तो जिले के अनेक लोग चुनाव में बंदूक जमा कराने के बाद वापस लेने को लौटे ही नहीं है। संदूक में रखे-रखे बंदूकों में जंग लग रही है। इंतजार करते करते कई साल बीतने पर गन हाउस के संचालकों ने प्रशासन को पत्र भेजकर जमा बंदूकों का निस्तारण करने का अनुरोध किया है। पता चला है कि कई लोग दोनाली बंदूकों को औने-पौने दामों में भी बेच रहे हैं। पिछले एक साल में 22 लोगों ने दोनाली बंदूक के लाइसेंस सरेंडर किए हैं। कई साल से एक हजार से अधिक दोनाली बंदूक थानों व दुकानों में जमा हैं।
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बंदूक के बारे में जानें
इकनाली बंदूक में एक बार में केवल एक ही गोली भर कर दागी जाती है जबकि दोनाली बंदूक में दो गोलियां भरकर क्रमश: दागी जा सकती हैं। पिस्टल से एक के बाद एक आठ गोलियां दागी जा सकती है और रिवाल्वर में छह। राइफल में पांच गोली दागी जा सकती है।
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- जिले में कुल 15 हजार शस्त्र लाइसेंस हैं
- दोनाली बंदूक के चार हजार, राइफल के चार हजार एवं सात हजार पिस्टल के लाइसेंस हैं।
- जिले में 12 शस्त्र विक्रेता हैं
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दोनाली बंदूक का चलन कम हो गया है। पिस्टल, रिवाल्वर, राइफल, रिपीटर गन का दौर चल रहा है। सख्त प्रक्रिया के चलते शस्त्र लाइसेंस बहुत कम लोग बनवा रहे हैं। बनने पर पिस्टल खरीदना अधिक पसंद करते हैं। 49 दोनाली बंदूक जमा हैं। कुछ लेने आ रहे हैं लेकिन कुछ भूल गए हैं।
-दुष्यंत सिसोदिया, संचालक प्रताप गन हाउस
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समाज में अब असुरक्षा का माहौल खत्म हो चला है। पुलिस और प्रशासन कानून व्यवस्था को कायम रखे हुए है। ऐसे में शस्त्र लाइसेंसों की मांग कम हो रही है। बंदूक घर में सुरक्षा की दृष्टि से रखी जा सकती है, फिर भी दोनाली बंदूक को जमा करने के बाद लोग वापस लेने नहीं आ रहे हैं। अब बाइक पर बंदूक टांगकर चलने का दौर खत्म हो रहा है। आपसी विवाद और जमीनों के झगड़े कम हो गए हैं।
- राकेश कुमार सिंह, जिलाधिकारी