जेल में माहौल बन गया था राममय, नहीं आई घर की भी याद
जासं गाजियाबाद गांव भीकनपुर के रहने वाले कारसेवक एवं राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित शिक्ष
जासं, गाजियाबाद : गांव भीकनपुर के रहने वाले कारसेवक एवं राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक नरेंद्र कुमार शर्मा भी राम मंदिर आंदोलन के चलते 28 दिन जेल में रहे थे। नरेंद्र कुमार का कहना है कि हम लोगों को लगता था कि हम जो कार्य कर रहे हैं, वह श्रीराम का है। वह एक पुनीत कार्य है और यह अवश्य ही पूरा होगा। आखिर वह दिन आ ही गया जिसका करोड़ों राम भक्तों को इंतजार था।
नरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि 12 अक्टूबर 1990 की रात करीब डेढ़ बजे लगभग 20 पुलिस वाले घर आए। तभी दारोगा ने कहा कि राम मंदिर के प्रकरण को लेकर सीओ साहब एक बैठक ले रहे हैं। आपको भी बुलवाया है। उन्होंने कपड़े पहने और उनके साथ चल दिया। मुरादनगर थाने पहुंचे तो उन्होंने बताया कि सीओ साहब गाजियाबाद चले गए हैं। इसके बाद गाजियाबाद पुलिस लाइन में लाया गया। उनका कहना है था उन्हें पुलिस वालों पर विश्वास तो नहीं हो रहा था, लेकिन वह व्यवहार अच्छा कर रहे थे। पुलिस वायरलेस सेट पर कह रही थी कि एक बड़ी पकड़। सुबह करीब पांच बजे गाजियाबाद पुलिस लाइन पहुंचे। वहां पर पूर्व राज्य मंत्री बालेश्वर त्यागी, साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा, पूर्व मेयर स्व. तेलू राम कंबोज, स्व. राज कुमार गोयल, हर प्रसाद गुप्ता और पार्षद अनिल स्वामी सहित काफी लोग मौजूद थे। इतने लोगों को देखकर आश्वस्त हो गया कि श्री राम मंदिर की पहली परीक्षा शुरू हो गई है। उधर, गांव में पता लगा तो वहां से भी छह-सात ट्रॉली भरकर बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए। पुलिस ने उन्हें भी घेरे में ले लिया। बड़ी मुश्किल से उन्हें छुड़वाया। करीब 20 युवक साथ रहने पर अड़ गए। करीब 45 लोग थे। सभी को बस भरकर सहारनपुर जेल लाकर बंद कर दिया गया। सभी कारसेवकों ने जेल में भी राममय माहौल बना दिया कि किसी को घर की भी याद नहीं आ रही थी। इस तरह से 28 दिन जेल में ही गुजर गए। पूरी तरह भरोसा था। जो कार्य कर रहे हैं वह श्रीराम का है वह एक पुनीत कार्य है और यह अवश्य ही पूरा होगा। आखिर वह दिन आ ही गया जिसका करोड़ों राम भक्तों को इंतजार था।