वोट बैंक की फसल काटने को तैयार सपा-रालोद
अवनीश मिश्र साहिबाबाद कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन स्थल यूपी गेट पर शुक्रवार को समाजवादी पा
अवनीश मिश्र, साहिबाबाद : कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन स्थल यूपी गेट पर शुक्रवार को समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के झंडे-पोस्टर लगे वाहनों की संख्या अधिक दिखी। भीड़ में करीब 30-40 फीसद सपा और रालोद से जुड़े लोगों की हिस्सेदारी रही। इससे साफ हो गया कि प्रदर्शन को वोट बैंक की उपजाऊ जमीन समझने वाली सपा और रालोद फसल काटने के लिए तैयार हैं।
कई माह बाद शुक्रवार को यूपी गेट पर करीब तीन हजार लोगों की भीड़ जुटी। उनमें सपा और रालोद से जुड़े लोगों की हिस्सेदारी करीब 30-40 फीसद रही। वह प्रदर्शनकारियों के कंधे से कंधा मिलाकर चलते दिखे। उन्हें यह एहसास कराते रहे कि उन्होंने प्रदर्शन को भरपूर सहयोग दिया है। शाम करीब पांच बजे तक दोनों पार्टियों के पदाधिकारी यहां ठहरे। हालांकि उनमें कोई बड़ा नेता नहीं रहा। उनके जाने के बाद यहां प्रदर्शनकारियों की संख्या करीब 18 सौ से दो हजार रह गई। वहीं, माना जा रहा है कि एक-दो दिन में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित अन्य राजनीतिक दल अपनी सक्रियता बढ़ाएंगे।
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फंसी एंबुलेंस : शुक्रवार सुबह 11 से शाम चार बजे तक यूपी गेट पर वाहनों की कतार लगी रही। इनमें ट्रैक्टरों की संख्या कम रही। ज्यादातर लग्जरी कारें रहीं। उनमें सपा और रालोद के झंडे और बैनर लगे रहे। दोपहर करीब दो बजे सपा के झंडे लगे आठ-10 वाहनों का काफिला एक साथ मंच के बगल वाली सड़क पर पहुंचा। इससे जाम लग गया। उसमें एक एंबुलेंस फंस गई। काफी मशक्कत के बाद उसे निकाला गया। ट्रैक्टरों की कम और राजनीतिक पार्टियों के झंडे लगे वाहनों की अधिक संख्या ने सबकुछ अपने आप बयां कर दिया।
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शुरू में बोया था वोट बैंक का बीज : यूपी गेट पर 28 नवंबर 2020 से प्रदर्शन चल रहा है। उसी समय से यहां भारतीय जनता पार्टी के विरोधी दलों की सक्रियता है। आम आदमी पार्टी की ओर से काफी दिनों तक चाय-नाश्ता और दवाई का शिविर लगाया गया। बिहार की जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव और कांग्रेस नेता उदित राज भी कई दिन यहां आ चुके हैं। समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष राहुल चौधरी भी यहां काफी सक्रिय रहे हैं। राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी भी यहां हाजिरी लगा चुके हैं। इन दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं की सक्रियता से पता चल रहा है कि उन्होंने प्रदर्शन के शुरूआत में ही वोट बैंक की फसल बोनी शुरू कर दी थी। अब उसे काटने का समय आ गया है।