अभियोजन की स्वीकृति देने वाले रेलवे के वरिष्ठ अफसर की गवाही हुई
मुरादाबाद-चंदौसी रेल मार्ग पर पुरानी व खराब सिग्नल रिले लगाकर 24.15 लाख रुपये का घोटाला करने के मामले में मंगलवार को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश राजेश चौधरी की अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान अभियोजन की स्वीकृति देने वाले रेलवे के सीनियर डिविजनल इंजीनियर जगदीश चंद गुप्ता ने अदालत में पेश होकर गवाही दी। यह जानकारी सीबीआइ के लोक अभियोजक कुलदीप पुष्कर ने दी।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : मुरादाबाद-चंदौसी रेल मार्ग पर पुरानी व खराब सिग्नल रिले लगाकर 24.15 लाख रुपये का घोटाला करने के मामले में मंगलवार को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश राजेश चौधरी की अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान अभियोजन की स्वीकृति देने वाले रेलवे के सीनियर डिविजनल इंजीनियर जगदीश चंद गुप्ता ने अदालत में पेश होकर गवाही दी। यह जानकारी सीबीआइ के लोक अभियोजक कुलदीप पुष्कर ने दी।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2007 में मुरादाबाद-चंदौसी रेल मार्ग पर करीब 1500 लगाई गई। आरोप है कि रेलवे के तत्कालीन सेक्शन इंजीनियर एमएस रावत ने साजिश के तहत चहेती फर्म को टेंडर दिया। इसके बाद पुरानी व खराब सिग्नल रिले रेल मार्ग पर लगा दी गई, जबकि ठेकेदार को भुगतान नई रिले के एवज में किया गया। इस तरह आपराधिक षड्यंत्र के तहत करीब 24.15 लाख रुपये का घोटाला किया गया। मामले में एमएस रावत के अलावा कुलदीप, राकेश गुप्ता, रामवीर व अन्य आरोपित हैं।