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रमजान की रुख्सती के बाद गुनाहों का रखें रोजा

रमजान के आखिरी जुमे की नमाज से पहले खिताब करते हुए संजय नगर जामा मस्जिद के पेश इमाम मुफ्ती महताब ने कहा कि यह रमजान जा रहा है और अगला आएगा यह उतना ही सच है जितना कि चांद और सूरज का निकलना और छिपना। कयामत तक रमजान का मुबारक महीना आता रहेगा लेकिन हम लोगों में से किसे यह नसीब होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है। जरूरी है कि रमजान के बाद गुनाहों का रोजा रखें नेकियां करें किसी का दिल न दुखाएं। उन्होने कहा कि रोजा सिर्फ भूख-प्यास से जुड़ा फर्ज नहीं बल्कि पूरे जिस्म सोच व रूह को अल्लाह के हुक्म के मुताबिक अदा करने का नाम है। इसीलिए रोजा पूरे अदब के साथ रखना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 05:58 PM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 05:58 PM (IST)
रमजान की रुख्सती के बाद गुनाहों का रखें रोजा
रमजान की रुख्सती के बाद गुनाहों का रखें रोजा

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : रमजान के आखिरी जुमे की नमाज से पहले खिताब करते हुए संजय नगर जामा मस्जिद के पेश इमाम मुफ्ती महताब ने कहा कि यह रमजान जा रहा है और अगला आएगा यह उतना ही सच है जितना कि चांद और सूरज का निकलना और छिपना। कयामत तक रमजान का मुबारक महीना आता रहेगा, लेकिन हम लोगों में से किसे यह नसीब होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है। जरूरी है कि रमजान के बाद गुनाहों का रोजा रखें, नेकियां करें, किसी का दिल न दुखाएं।

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उन्होने कहा कि रोजा सिर्फ भूख-प्यास से जुड़ा फर्ज नहीं, बल्कि पूरे जिस्म, सोच व रूह को अल्लाह के हुक्म के मुताबिक अदा करने का नाम है। इसीलिए रोजा पूरे अदब के साथ रखना चाहिए। उन्होंने कहा खुशनसीब है वह शख्स जिसकी जिदगी में रमजान-उल मुबारक बार-बार आ रहा है और वह पूरे अहतराम के साथ इसे अदा कर रहा है। मुफ्ती महताब ने कहा अल्लाह के नबी सल्ल. ने इरशाद फरमाया कि बदनसीब है वो शख्स जिसकी जिदगी में अल्लाह का महीना रमजान आया और उसने अपने गुनाहों से तौबा और अपनी मग्फिरत नहीं कराई। उन्होंने फरमाया कि रमजान का बिना किसी उज्र एक फर्ज रोजा छोड़ने पर वह पूरी जिदगी रोजा रखते रहे वह उसकी कमी पूरी नहीं कर सकता। बिना उज्र रोजा छोड़ने वाले की माफी नहीं हो सकती। रोजा गुनाहों को इंसान के नाम-ए आमाल से पूरी तरह जलाकर इंसान को पाक-साफ कर देता है। नमाज के बाद खुदा की बारगाह में हाथ उठाकर गुनाहों से तौबा के साथ ही देश दुनिया में अमन-ओ अमान व भाईचारे की दुआएं मांगी गई। मस्जिद में जगह न मिलने पर लोगों के लिए कई जगह शामियाना लगाया गया तो कहीं सड़कों पर भरी गर्मी में रोजेदार लोगों ने नमाज अदा की। मुख्य रूप से शहर की मरकज वाली मस्जिद कैला भट्ठा, ईदगाह वाली मस्जिद, सिहानी गेट जामा मस्जिद, सराय नगर अली जामा मस्जिद, कस्साबाद जामा मस्जिद, डासना गेट, रामघाट मंदिर के निकट जामा मस्जिद, कुरैशी मार्केट जामा मस्जिद, मिर्जापुर, वीर अब्दुल हमीद कालोनी समेत शहर की जामा मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा गई।

देश के अमन चैन की दुआएं मांगी गईं

संस, मसूरी : रमजान उल मुबारक के आखिरी जुमे की नमाज शांति एवं सादगी से अदा की गई। भीषण गर्मी में बच्चे, युवा और बुजुर्गों ने बड़ी तादाद में जामा मस्जिदों में पहुंचकर नमाज अदा की। जगह न होने पर रोजेदार नमाजियों ने मस्जिद की छत व सड़कों पर धूप में नमाज अदा की। मस्जिदों के पेश इमामों ने देश में अमन, रोजगार व भाईचारे के लिए दुआ कराई। मौलाना अरशद कासमी ने बताया कि ईद से पहले गरीबों को सदका, जकात और फितरा जरूरी है। उन्होंने कहा कि अमीरों की ओर से दिए गए जकात और फितरे से गरीबों के घर ईद की खुशियां मनाई जाती हैं। मौलाना ताहिर उल हसन ने नमाजियों से कहा कि वह अपने दीन पर कायम रहकर देश के प्रति वफादार, ईमानदार तथा नेक बनकर इसकी तरक्की में हिस्सेदार बनें।

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